'कोटा के भीतर कोटा' वैध- SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर के खिलाफ रिव्यू याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
संविधान पीठ ने एक अगस्त को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के मामले पर फैसला दिया था। इस फैसले के माध्यम से कोर्ट ने अपने 2004 के निर्णय को पलट दिया था।
एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के खिलाफ रिव्यू याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर के खिलाफ दाखिल रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
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संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के फैसले को रिव्यू करने की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें सकारात्मक लाभ प्रदान करने के लिए अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के भीतर उप-वर्गीकरण को वैध ठहराने के पीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
रिव्यू याचिकाओं पर विचार करने के बाद, मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि " पीठ के पहले के फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती। ऐसे में रिव्यू का कोई मामला स्थापित नहीं होता है, इसलिए इन याचिकाओं को खारिज किया जाता है।"
एक अगस्त को सुनाया था फैसला
गौरतलब है कि संविधान पीठ ने एक अगस्त को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के मामले पर फैसला दिया था। इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायाधीशों के बहुमत ने कोटा लाभ प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों पर "क्रीमी लेयर" सिद्धांत को लागू करने का सुझाव दिया, लेकिन इस शर्त के साथ कि उप-वर्गीकरण प्रदान करते समय, सरकार सूची में अन्य जातियों को छोड़कर किसी विशेष उप-वर्ग के पक्ष में अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए उपलब्ध 100 प्रतिशत सीटों को आरक्षित करने की हकदार नहीं होगी।सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला 6:1 बहुमत से दिया था। इस फैसले के माध्यम से कोर्ट ने अपने 2004 के निर्णय को पलट दिया था, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर कुछ उप-जातियों को वरीयता देने के खिलाफ फैसला सुनाया गया था।
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