एकनाथ शिंदे-उद्धव ठाकरे के लिये कस्बा पेठ,चिंचवाड़ उपचुनाव नाक का सवाल, 10 बड़े फैक्ट्स
महाराष्ट्र में उपचुनाव वैसे तो महज दो सीटों कस्बा पेठ और चिंचवाड़ के लिए हो रहा है। लेकिन ये दोनों सीटें एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों के लिए अहम हैं।
एकनाथ शिंदे,उद्धव ठाकरे
kasba peth and chinchwad by elections: सियासी लड़ाई में कब कौन सा दांव काम कर जाए और कौन सा दांव उल्टा कुछ कहा नहीं जा सकता। एकनाथ शिंदे कभी उद्धव के नाक के बाल हुआ करते थे। लेकिन अदावत ऐसी हुई कि शिंदे ने विद्रोही तेवर अपनाया और ना सिर्फ सरकार बल्कि पार्टी पर कब्जा कर लिया। हाल ही में चुनाव आयोग ने शिवसेना पर शिंदे के दावे पर मुहर लगा दी। इस तरह से उद्धव ठाकरे सत्ता और विरासत दोनों गंवा बैठे। लेकिन बात यहां हम पुणे जिले की कस्बा पेठ और चिंचवाड़ उपचुनाव की करेंगे जो एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों के लिए अहम है। बता दें कि जब आयोग ने उद्धव ठाकरे से उनकी पार्टी की पहचान छीन ली तो वो सुप्रीम कोर्ट का दहलीज पर पहुंचे। अदालत ने सुनवाई की लेकिन फौरी तौर पर किसी तरह की राहत नहीं मिली। अगर बात एकनाथ शिंदे की करें तो चुनाव आयोग के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा था कि आखिर सत्य की जीत हुई। लेकिन यहां एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे को इंदिरा गांधी से सीख लेकर उत्साह के साथ जनता के बीच जाना चाहिए।
कस्बा पेठ- चिंचवाड़ चुनाव के 10 बड़े प्वाइंट्स
- भारतीय जनता पार्टी के विधायक मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप के क्रमशः निधन के बाद कस्बा पेठ और चिंचवाड़ में उपचुनाव हो रहा है।
- पुणे शहर में कस्बा पेठ में बीजेपी के हेमंत रसाने और कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर के बीच मुकाबला है। धंगेकर को एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन हासिल है।
- पुणे शहर के पास एक औद्योगिक शहर चिंचवाड़ में बीजेपी के अश्विनी जगताप और एनसीपी के नाना काटे के बीच मुकाबला होगा।
- कस्बा पेठ निर्वाचन क्षेत्र में 2,75,428 पंजीकृत मतदाता हैं। चिंचवाड़ निर्वाचन क्षेत्र में 5,68,954 पंजीकृत मतदाता हैं जो अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले हैं।
- शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, एनसीपी नेता अजीत पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे और अन्य ने दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया।
- बीजेपी पर वोटरों को पैसे बांटने का आरोप लगाने के बाद शनिवार को कांग्रेस रवींद्र धंगेकर भूख हड़ताल पर चले गए थे। पुलिस द्वारा मामले की जांच करने के आश्वासन के बाद उन्होंने धरना समाप्त किया।
- उपचुनाव का यह दूसरा उदाहरण होगा क्योंकि शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर और उद्धव ठाकरे से मुख्यमंत्री का पद छीनकर राज्य की सत्ता संभाली थी।यह पहला चुनाव होगा क्योंकि भारत के चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में शिंदा गुट को "असली शिवसेना" घोषित किया था।
- कई लोगों का मानना है कि मतदान आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति का निर्धारण करेगा। अगर एमवीए के समर्थन से चुनाव लड़ने वाला कांग्रेस उम्मीदवार बीजेपी से दोनों सीटें छीन लेता है तो इसे महागठबंधन बनने के बाद पहली अहम जीत माना जा सकता है। संभावित विकास को पुणे, मुंबई, नागपुर, नासिक और औरंगाबाद सहित विभिन्न शहरों में निर्धारित नागरिक चुनावों के अग्रदूत के रूप में माना जा सकता है।
- अगर बीजेपी दो सीटों को बरकरार रखने में कामयाब रहती है, तो एमवीए के लिए एक साथ रहना मुश्किल होगा।
- कस्बा पेठ के निवासी, जो मुख्य रूप से पेठ क्षेत्रों सहित पुणे के मध्य हिस्सों में हैं, पुराने वाड़ों का पुनर्विकास, सड़कों और फुटपाथों का अतिक्रमण, भीड़भाड़ वाली गलियों और अपर्याप्त पानी की आपूर्ति की मांग अहम मुद्दा है, चिंचवाड़ में भी पानी की आपूर्ति की कमी, यातायात, कानून व्यवस्था और मेट्रो रेल के धीमा काम अहम विषय उभर कर सामने आया है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि सीधे तौर पर इन दोनों सीटों के लिए उद्धव ठाकरे कैंप का उम्मीदवार नहीं है। बल्कि वो कांग्रेस और एनसीपी के उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं। इन दोनों सीटों पर अगर महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों की जीत होती है तो उसका अर्थ यह होगा कि ठाकरे से पहचान भले ही छिन गई हो लेकिन जमीनी स्तर पर लोगों को उनमें भरोसा है। हालांकि परिणाम अलग आते हैं तो महाविकास अघाड़ी में स्वाभाविक तौर पर ठाकरे का दबदबा कमजोर होगा।
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