Gyanvapi Case: ज्ञानवापी सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, मामले को 10 प्वाइंट में समझें
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे इलाहाबाद हाई कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। सर्वे के जरिये यह पता लगाया जाएगा कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी? मामले को 10 प्वाइंट में समझें।
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे इलाहाबाद हाई कोर्ट वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर आज को अपना आदेश सुनाने वाला है। वाराणसी जिला अदालत के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह निर्धारित करने के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया गया था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी। दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं में से एक राखी सिंह ने बुधवार को वाराणसी जिला अदालत में याचिका दायर की, जिसमें मुस्लिम पक्ष पर हिंदू प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाया गया और परिसर की सुरक्षा का अनुरोध किया गया। याचिका में कहा गया है कि संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर को सील किया जाए ताकि गैर हिंदुओं द्वारा उन हिंदू चिह्नों, प्रतीकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके जो आयोग के सर्वे के दौरान पाए गए थे। साथ ही प्राचीन मंदिर होने का दावा किए जाने वाले मस्जिद परिसर में श्री आदि विश्वेश्वर विराजमान को कोई नुकसान ना पहुंचाया जा सके।
ज्ञानवापी सर्वे मामला- 10 प्वाइंट में समझें
- ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे को लेकर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आएगा। सुनवाई के दौरान मंदिर और मस्जिद पक्ष ने जमकर बहस की थी। कानूनी के साथ-साथ ऐतिहासिक तथ्य रखे गए थे, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- कोर्ट में हिंदू पक्ष ने जो दलील दी है। उसमें कहा गया है कि ASI सर्वे से ज्ञानवापी की संरचना की सच्चाई सामने आएगी। सर्वे यह पता लगाने में मदद करेगा कि क्या वर्तमान संरचना का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर किया गया था।
- हिंदू पक्ष के मुताबिक मस्जिद को कोई नुकसान पहुंचाए बिना कानून के मुताबिक सर्वे किया जाएगा।
- हिंदू पक्ष ने राम जन्मभूमि केस का हवाला देते हुए कहा कि अयोध्या में भी बिना किसी नुकसान के सर्वे हुआ था वहीं एएसआई ने भी सर्वे को लेकर साफ किया है कि मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि विवादित जगह पहले मंदिर था औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। विवादित परिसर में आज भी हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं।
- वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से भी कोर्ट में दलीलें पेश की गईं। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है। ये सिर्फ कल्पना है , कल्पना के आधार पर एएसआई को सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
- पिछले सर्वे के दौरान वजूखाने से मिली आकृति शिवलिंग नहीं बल्कि पानी का फव्वारा था।
- मुस्लिम पक्ष ने कहा कि एएसआई ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई? जिला जज के आदेश के कुछ घंटे बाद ही एएसआई की टीम वाराणसी पहुंच गई।
- मुस्लिम पक्ष ने सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान होने की आशंका जताई है। मुस्लिम पक्ष के मुताबिक 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत केस सुनवाई लायक है ही नहीं।
- इससे पहले जिला अदालत ने परिसर के सर्वे की इजाजत दे दी थी। जिसके बाद ASI की तरफ से बिना देरी किए सर्वे शुरु कर दिया गया था। लेकिन इससे पहले कि सर्वे पूरा हो पाता मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी।
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