हरियाणा में डॉक्टर, नर्स, कर्मचारी अब नहीं पहन पाएंगे टी-शर्ट, जीन्स और स्कर्ट, फॉलो करनी होगी ड्रेस कोड पॉलिसी
Haryana Hospital Dress Code Policy : हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल और अन्य कर्मचारी अब मेकअप नहीं कर पाएंगे। फंकी हेयर स्टाइल, लंबे नाखून भी नहीं रख पाएंगे। साथ ही टी-शर्ट, जीन्स और स्कर्ट नहीं पहन पाएंगे। क्योंकि हरियाणा सरकार हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए एक ड्रेस कोड लागू करने जा रही है।
हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में लागू होगा ड्रेस कोड
Haryana Hospital Dress Code Policy: हरियाणा सरकार के अस्पतालों में मेडिकल और अन्य कर्मचारी अब मेकअप नहीं कर पाएंगे। फंकी हेयर स्टाइल, लंबे नाखून भी नहीं रख पाएंगे। साथ ही टी-शर्ट, जीन्स और स्कर्ट नहीं पहन पाएंगे। क्योंकि हरियाणा सरकार स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स के लिए एक ड्रेस कोड लागू करने जा रही है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा ड्रेस कोड अंतिम चरण में है। कुछ प्रकार के ड्रेस पर प्रतिबंध लगाने के कदम ने अंबाला में डॉक्टरों के संगठन साथ मेडिकल बिरादरी से मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की। जिसमें कहा गया कि ड्रेस कोड लागू करने से कर्मचारियों को एक पेशेवर दृष्टिकोण मिलेगा, जबकि नर्सों के एक संघ ने कहा कि सरकार को हमारी राय भी लेनी चाहिए थी।
ड्रेस कोड का पालन नहीं करने पर मिलेगी सजा
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विज ने कहा कि सप्ताहांत, शाम और रात की पाली समेत 24 घंटे ऑन-ड्यूटी कर्मचारियों द्वारा ड्रेस कोड का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि दोषी कर्मचारियों को उस दिन के लिए अनुपस्थित माना जाएगा। उन्होंने कहा कि एक अस्पताल को अपने कर्मचारियों को कुछ आचरण का पालन करने की जरूरत होती है, और एक ड्रेस कोड एक आवश्यक घटक है जो संगठन को प्रोफेशनल टच देता है।
ड्रेस को लेकर ये है सरकार का फरमान
बीजेपी नेता और मंत्री विज ने कहा कि फंकी हेयरस्टाइल, भारी आभूषण, एक्सेसरीज, मेकअप, काम के घंटों के दौरान लंबे नाखून अस्वीकार्य हैं, खासकर स्वास्थ्य केंद्रों में। उन्होंने कहा कि किसी भी रंग की जींस, डेनिम स्कर्ट और डेनिम ड्रेस को प्रोफेशनल ड्रेस नहीं माना जाता है और इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही कर्मचारियों को अपने पदनाम की घोषणा करते हुए नाम का बिल्ला लगाना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि स्वेटशर्ट, स्वेटसूट और शॉर्ट्स की अनुमति नहीं है। स्लैक्स ड्रेस, स्कर्ट और पलाज़ो की भी अनुमति नहीं होगी। टी-शर्ट, स्ट्रेच टी-शर्ट, स्ट्रेच पैंट, फिटिंग पैंट, लेदर पैंट, कैपरी, स्वेटपैंट, टैंक टॉप, ट्रांसपेरेंट ड्रेसेस या टॉप्स, क्रॉप टॉप्स, ऑफ-शोल्डर ड्रेसेस, स्नीकर्स, स्लीपर्स आदि की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह, फुटवियर्स काले, साफ, आरामदायक और फंकी डिजाइन से मुक्त होने चाहिए। इन परिधानों पर प्रतिबंध लगाने का औपचारिक आदेश अभी जारी नहीं किया गया है।
अनुशासन, एकरूपता और समानता के लिए ड्रेस कोड पॉलिसी जरूरी
विज ने कहा कि ड्रेस कोड पॉलिसी का उद्देश्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों के बीच अनुशासन, एकरूपता और समानता बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि एक अस्पताल में एक अच्छी तरह से पालन की जाने वाली ड्रेस कोड पॉलिसी न केवल एक कर्मचारी को उसकी पेशेवर छवि देती है बल्कि जनता के बीच एक ऑर्गनाइजेशन की एक सुंदर छवि भी प्रस्तुत करती है। मंत्री ने कहा कि क्लीनिकल भूमिकाओं (मेडिक्स और पैरामेडिक्स), स्वच्छता और सेनिटेसन, सुरक्षा, परिवहन, तकनीकी, रसोई, क्षेत्र और अन्य विभागों में काम करने वाले सभी अस्पताल कर्मचारियों को अपने काम के घंटों के दौरान उचित यूनिफॉर्म में होना जरूरी है।
पुरुषों के बाल कॉलर से अधिक लंबे नहीं होने चाहिए
विज ने कहा कि अस्पतालों में नन-क्लीनिकल प्रशासनिक कार्य देखने वाले कर्मचारियों को केवल फॉर्मल ही पहनना होगा। प्रत्येक कर्मचारी से उम्मीद की जाती है कि वह साफ-सुथरे कपड़े पहनें और अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि बाल साफ, अच्छी तरह से तैयार और साफ-सुथरे होने चाहिए। पुरुषों के बाल कॉलर की लंबाई से अधिक नहीं होने चाहिए और रोगी की देखभाल में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मंत्री ने जोर देकर कहा कि असामान्य केशविन्यास और अपरंपरागत बाल कटाने की अनुमति नहीं है। नाखून साफ, छंटे हुए और अच्छी तरह से सजे हुए होने चाहिए। उन्होंने कहा कि नर्सिंग संवर्ग को छोड़कर प्रशिक्षुओं को सफेद शर्ट के साथ काली पैंट और नाम टैग पहनना होगा। उन्होंने कहा कि जब आप एक प्राइवेट अस्पताल में जाते हैं, तो एक भी कर्मचारी बिना ड्रेस के नहीं दिखता है, जबकि राज्य के अस्पतालों में किसी सरकारी अस्पताल में एक मरीज और एक कर्मचारी के बीच अंतर करना मुश्किल होता है।
डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ एसोसिएशन की ये है मांग
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन, अंबाला ने शनिवार को इस फैसले का स्वागत किया, इसके प्रदेश अध्यक्ष राजेश ख्यालिया ने कहा कि ड्रेस कोड अस्पताल के कर्मचारियों को एक प्रोफेशनल रूप देगा। अंबाला शहर के सिविल अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि स्वास्थ्य विभाग स्टाफ को कम से कम तीन जोड़ी ड्रेस दे। डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल परिसर में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए अलग-अलग चेंजिंग रूम होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों को अस्पताल में आने पर अपने कपड़े बदलने की अनुमति दी जानी चाहिए और ड्यूटी के घंटों के बाद अपनी खुद की ड्रेस पहननी चाहिए। हिसार में, हरियाणा के बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी घोषणा का स्वागत किया। लेकिन नर्सिंग वेलफेयर एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष विनीता ने कहा कि सरकार को ड्रेस कोड लागू करने से पहले एसोसिएशन की राय लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों पर भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए।
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