BJP की जीत की सुनामी में बह गए AAP के बड़े-बड़े दिग्गज, आतिशी को छोड़ सब लग गए 'किनारे'

Delhi Assembly Election 2025 : केजरीवाल ने इस चुनाव में भी रेवड़ियों का वादा किया था लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने भी उसकी काट निकाल लिया। रेवड़ियां देने में भाजपा तो उससे दो चार कदम आगे निकल गई लेकिन ऐसा नहीं है कि दिल्ली कि जनता ने केवल मुफ्त की योजनाओं और रेवड़ियों के लिए भाजपा को चुना और AAP को हराया।

Delhi Assembly Election 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025

Delhi Assembly Election 2025 : दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जोरदार वापसी हो गई है। चुनाव में भगवा पार्टी की प्रचंड जीत हुई है। दिल्ली की जनता ने उसे दिल खोलकर वोट दिया है। तो वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी हार का सामना करना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए। नई दिल्ली सीट पर उन्हें भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने करीब चार हजार वोटों से हराया। भाजपा के आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा इतना ज्यादा था कि मुख्यमंत्री आतिशी को छोड़कर पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन जैसे दिग्गज चेहरों को हार का सामना करना पड़ा। आतिशी भी जैसे-तैसे जीत दर्ज कर सकीं। दिल्ली चुनाव में AAP को बहुत बड़ा झटका लगा है। AAP की इस हार के कई मायने हैं। AAP की यह हार राष्ट्रीय राजनीति में केजरीवाल का कद तय करने वाली है।

केजरीवाल की छवि पर लगा बट्टा

चुनाव के दौरान बड़ी जीत का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी को इतनी बड़ी हार की उम्मीद नहीं रही होगी। उसे अपने काम और मुफ्त की रेवड़ियों पर भरोसा था। फिर भी दिल्ली की जनता ने उस पर नहीं बल्कि भाजपा पर भरोसा जताया। AAP की इस हार की वैसे तो कई वजहें हैं लेकिन एक्सपर्ट्स की राय है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी की इस हार के लिए एंटी इंकम्बैंसी यानी कि सत्ता विरोधी लहर जिम्मेदार है। AAP एक तरह से 2013 से दिल्ली की सत्ता में थी। इतने लंबे समय के बाद सत्ता विरोधी लहर का होना लाजिमी था। दूसरा भ्रष्टाचार और घोटालों ने केजरीवाल की 'ईमानदार' छवि पर बट्टा लगाया।

भाजपा के वादों पर ज्यादा भरोसा

आबकारी नीति घोटाला और 'शीशमहल' प्रकरण ने भी AAP की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया। दिल्ली में स्थानीय मुद्दे भी इस चुनाव में हावी रहे। सड़क, सीवर, पानी, प्रदूषण को लेकर भाजपा ने AAP को बुरी तरह घेरा। वह 'आप दा' का नरेटिव गढ़ने में भी कामयाब हुई। दूसरा, 2015 और 2020 के दोनों चुनावों में AAP की जीत की वजह उसकी बिजली, पानी और महिलाओं के लिए बस में मुफ्त यात्रा रही। केजरीवाल ने इस चुनाव में भी रेवड़ियों का वादा किया था लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने भी उसकी काट निकाल लिया। रेवड़ियां देने में भाजपा तो उससे दो चार कदम आगे निकल गई लेकिन ऐसा नहीं है कि दिल्ली कि जनता ने केवल मुफ्त की योजनाओं और रेवड़ियों के लिए भाजपा को चुना और AAP को हराया। दिल्ली को रेवड़ियों के साथ-साथ काम भी चाहिए।

दिल्ली की जनता को मिलेंगी ये मुफ्त सुविधाएं

AAP की रेवड़ियों की काट भाजपा ने प्रधानमंत्री के उस बयान से निकाल ली जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली में मुफ्त की योजनाएं बंद नहीं होंगी। दिल्ली के एक बड़े तबके को यह आशंका हमेशा रहती थी कि सत्ता में आने पर भाजपा मुफ्त की योजनाएं बंद कर सकती है। ऐसा मुफ्त की रेवड़ियों पर पीएम और भाजपा का रुख था लेकिन दिल्ली चुनाव में भगवा पार्टी ने रेवड़ियों पर अपना रुख नरम किया और इसकी काट निकालते हुए कई लोक लुभावन वादे किए। भाजपा ने कहा कि पेंशन में वृद्धि, झुग्गी-झोपड़ियों में 5 रुपए में पौष्टिक खाना, बीपीएल परिवारों को 500 रुपए में सिलेंडर, होली दिवाली पर दो गैस सिलेंडर मुफ्त, गर्भवती महिलाओं को 21 हजार रुपए और गरीब महिलाओं को प्रति महीने 2500 रुपए देने का वादा शामिल है। जाहिर है कि जब वादों पर भरोसा करने की बात आई तो लोगों को केजरीवाल की जगह भाजपा को चुना।

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दिल्ली की जनता के इस जनादेश का संदेश अन्य राज्यों जहां आगे चुनाव होने हैं, वहां पर भी होगा। अगला विधानसभा चुनाव बिहार में होना है। यहां पर भी भाजपा इस जीत के फॉर्मूले और वादों को आजमा सकती है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'यह ऐतिहासिक जीत है। दिल्ली की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार को स्वीकारा है। आम आदमी पार्टी के झूठ और फरेब को नकारा है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सभी बड़े चेहरे हार गए, इससे साफ पता चलता है कि जनता झूठ-फरेब की राजनीति पर विश्वास नहीं करती। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी फिर से शून्य पर है... वे हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में साफ हो गए, अगली बारी बिहार की है... मिल्कीपुर में भी वे 40 हजार वोटों से पीछे हैं, जनता ने उन्हें जवाब दिया है।'

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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