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भारत का पहला गांव कहलाती है देवभूमि उत्तराखंड की यह जगह, महाभारत से लेकर सरस्वती नदी के अस्तित्व तक का है यहां इतिहास

हिमालय की गोद में बसा यह अद्भुत गांव देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। महाभारत काल की कथाओं से लेकर सरस्वती नदी के पवित्र प्रवाह तक, यहां का हर कोना प्राचीन भारत की गाथाओं को जीवंत करता है। बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों, शांत वातावरण और आध्यात्मिक महत्व के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं और प्रकृति प्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसकी भूमि पर इतिहास, आस्था और प्रकृति तीनों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

India First Village Name and History

भारत के पहले गांव का नाम और इतिहास

India First Village Name: हिमालय की गोद में बसा माणा गांव भारत की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक वैभव और ऐतिहासिक महत्व का जीवंत प्रतीक है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह अनोखा गांव न सिर्फ अपनी अद्भुत सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि देश की सीमाओं से जुड़ी अपनी भौगोलिक पहचान के कारण भी विशेष स्थान रखता है। इसे अक्सर “भारत का पहला गांव” कहा जाता है क्योंकि यह तिब्बत सीमा के ठीक पास, उत्तर भारत के अंतिम छोर पर स्थित है। पहले इसे “भारत का अंतिम गांव” कहा जाता था, लेकिन साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “भारत का पहला गांव” घोषित कर इसकी गरिमा और पहचान को एक नया आयाम दिया। माणा गांव का वातावरण अपने आप में एक अनुभव है। यहां की स्वच्छ हवा, बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, अलकनंदा नदी का कलकल प्रवाह और पारंपरिक पहाड़ी जीवन शैली मिलकर इसे किसी चित्रित स्वर्ग जैसा बनाते हैं। गांव के निवासी आज भी अपनी पुरातन संस्कृति, बोली और परंपराओं को सहेजकर रखते हैं, जिससे यह जगह एक जीवंत सांस्कृतिक संग्रहालय का अनुभव कराती है। धार्मिक दृष्टि से भी माणा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के समीप स्थित है। माना जाता है कि महाभारत काल में पांडव इसी मार्ग से स्वर्ग की ओर प्रस्थान किए थे, यही कारण है कि यह गांव आध्यात्मिक साधकों, इतिहास प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों सभी को समान रूप से आकर्षित करता है।

First Village of India (Photo: Canva)
भारत का पहला गांव (फोटो: Canva)

3,200 मीटर की ऊंचाई पर बसा गांव

भारत का पहला गांव कहलाने वाला माणा, अपनी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण विशेष पहचान रखता है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित वह अंतिम भारतीय बस्ती है जो माणा दर्रे से पहले पड़ती है, वहीं दर्रा जो आगे चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की ओर जाता है। लगभग 3,200 मीटर (करीब 10,500 फीट) की ऊंचाई पर बसा यह गांव अलकनंदा की सहायक नदी, सरस्वती नदी के तट पर बसा हुआ है। माणा गांव पवित्र बद्रीनाथ धाम से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसके कारण यह तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों दोनों के लिए एक आकर्षक ठहराव बिंदु बन गया है। यहां की चारों ओर फैली बर्फ से ढकी पर्वत चोटियां, हरी-भरी घाटियां और निर्मल वातावरण मिलकर एक ऐसा अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो आगंतुकों को हिमालय की भव्यता और शांति का गहरा अनुभव कराते हैं।

Birthplace of the Mahabharata Epic Tale (Photo: Canva)
महाभारत ग्रंथ का जन्मस्थल (फोटो: Canva)

पांडवों की यात्रा और महाभारत की रचना

माणा गांव केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक नहीं, बल्कि इतिहास और पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा एक आध्यात्मिक स्थल भी है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, यही वह पवित्र स्थान है जहां से महाभारत के नायक पांडव स्वर्ग की ओर प्रस्थान पर निकले थे। गांव में आज भी ऐसे कई स्थान मौजूद हैं जो इस महान महाकाव्य की यादें संजोए हुए हैं। यहां स्थित व्यास गुफा वह स्थान मानी जाती है जहाँ ऋषि वेद व्यास ने भगवान गणेश की सहायता से महाभारत की रचना की थी। यह गुफा आज भी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय है, जहां महाकाव्य से संबंधित दृश्य और प्रतीक उकेरे गए हैं। इसके समीप गणेश गुफा है, जहां कहा जाता है कि भगवान गणेश ने वेद व्यास के निर्देश पर महाकाव्य को लिपिबद्ध किया था। यह स्थान भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, जहां वे हाथीमुख देवता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वहीं, भीम पुल सरस्वती नदी पर स्थित एक विशाल प्राकृतिक पत्थर का पुल है, जिसके बारे में मान्यता है कि बलशाली भीम ने इसे द्रौपदी के नदी पार करने के लिए रखा था। यह अद्भुत संरचना पौराणिक कथा और प्रकृति के संगम का जीवंत उदाहरण है। इन पवित्र स्थलों के कारण माणा गांव केवल एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि अध्यात्म, इतिहास और आस्था का संगम बन गया है, जहां आने वाला हर यात्री प्राचीन भारत की महान परंपराओं और दिव्यता से आत्मिक रूप से जुड़ाव महसूस करता है।

Origin Place of Saraswati River (Photo: Canva)
सरस्वती नदी का उद्गम स्थल (फोटो: Canva)

सरस्वती नदी का स्थल है माणा गांव

सरस्वती नदी, जो माणा गांव से होकर बहती है, हिंदू पौराणिक परंपरा में अत्यंत पवित्र और प्रतीकात्मक मानी जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, यह वही दिव्य नदी है जो गंगा और यमुना के साथ मिलकर प्रयागराज में पवित्र त्रिवेणी संगम बनाती है। माना जाता है कि समय के साथ सरस्वती नदी भूमिगत हो गई थी, इसलिए माणा में इसका सतह पर प्रवाह होना अत्यंत शुभ और दुर्लभ माना जाता है। माणा पहुंचने वाले श्रद्धालु और पर्यटक उस अद्भुत स्थल को देख सकते हैं जहां सरस्वती नदी विशाल चट्टानों के बीच से फूटकर निकलती है और अलकनंदा से मिलन से पहले एक सुंदर झरना बनाती है। यह संगम स्थल आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां भक्त देवी सरस्वती की आराधना और पूजा-अर्चना करते हैं। यहां का वातावरण मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। जल के कल-कल स्वर की गूंज, हिमालय की शांति और श्रद्धा की भावना मिलकर इस स्थान को एक दिव्य और आत्मिक अनुभव बना देते हैं।

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 Nilesh Dwivedi
Nilesh Dwivedi Author

निलेश द्विवेदी वर्तमान में टाइम्स नाऊ नवभारत की सिटी टीम में 17 अप्रैल 2025 से बतौर ट्रेनी कॉपी एडिटर जिम्मेदारी निभाते हैं। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज... और देखें

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