भोपाल

'भूखे पेट कैसे पढ़ेगा इंडिया', 'कैसे बढ़ेगा इंडिया? यहां सालों से नहीं मिला नौनिहालों को मिड डे मील

रीवा जिले का एक ऐसा स्कूल, जहां 10 सालों से बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है। मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था नहीं होने के कारण छात्रों की संख्या में काफी कमी आई है। इस मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की गई है।

Mid Day Meal Scheme Reewa.

रीवा के प्राथमिक स्कूल में बच्चों को नहीं मिल रहा मिड-़डे मील

रीवा : जिले के गंगेव विकासखंड के नीबी शासकीय स्कूल में बच्चों को 10 सालों से मध्याह्न भोजन नहीं मिला। शायद यह प्रदेश का एक मात्र ऐसा स्कूल होगा, जहां इतने साल बीत जाने के बाद भी बच्चों को कभी मिड-डे मील नहीं मिलता। और इसी के चलते स्कूल की छात्र संख्या भी कम होती जा रही है। हालांकि, स्कूल के प्राचार्य ने इस बात की शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका।

स्कूल में पीने के लिए नहीं पानी

मध्याह्न भोजन योजना भारत सरकार की एक कल्याणकारी योजना है, जो सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त और पौष्टिक दोपहर का भोजन प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों में भूख और कुपोषण को कम करना, स्कूल में उनकी उपस्थिति और नामांकन दर बढ़ाना है, लेकिन रीवा जिले के गंगेव विकासखंड का शासकीय माध्यमिक शाला नीबी एक ऐसा स्कूल है, जहां पर बच्चों को पिछले 10 सालों से मध्याह्न भोजन नहीं मिला। खाना तो दूर यहां पीने के पानी तक की उचित व्यवस्था नहीं है।

उधर स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक 10 साल बाद जाग पाए हैं, जिन्होंने मामले को उजागर होता देखकर इसकी शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की है। दोपहर में बच्चों को भूख लगने पर स्कूल के बच्चे पानी पी पीकर ही काम चला रहे हैं। कई सालों से स्कूल में भोजन न मिलने की वजह से बच्चे भूखे पेट स्कूल में बैठने को मजबूर हैं। स्कूल के बच्चों के द्वारा बताया गया कि पिछले 3 सालों से इसी विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन आज तक एक भी दिन यहां कुछ भी खाने की नहीं मिला।

विद्यालय के हेडमास्टर सतीश पांडेय का कहना है कि कई बार प्रयास किया गया। BRC कार्यालय में कई शिकायत भी की गई, लेकिन आज तक व्यवस्था नहीं हो पाई। 15 अगस्त 26 जनवरी के दिन अन्य स्कूलों में बच्चों को स्पेशल खाना दिया जाता है, लेकिन यहां बच्चों को कुछ नहीं मिलता। विद्यालय में पढ़ाने वाली शिक्षिका का कहना है कि मिड डे मील न मिलने के कारण बच्चे स्कूल नहीं आते, अगर बच्चे आए भी तो बीच में ही भूख लगने पर स्कूल छोड़कर चले जाते हैं। उन्होंने कहा साल 2013 से इसी विद्यालय में पदस्थ हूं। इन 12 सालों में कभी भी मैंने बच्चों को मिड डे मील पाते हुए नहीं देखा। विद्यालय में पानी की भी व्यवस्था नहीं है, न तो यहां हैंडपंप है और न ही लाइट का कनेक्शन है। विद्यालय में बच्चे और शिक्षक गर्मी के दिनों में भी बिना पंखा रहते हैं। विद्यालय का गेट भी टूटा हुआ है, विद्यालय में एक बार चोरी भी हो चुकी है।

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Pushpendra Kumar
Pushpendra Kumar Author

गंगा यमुना के दोआब में स्थित उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से ताल्लुक है। गांव की गलियों में बचपन बीता और अब दिल्ली-एनसीआर में करियर की आपधापी जारी है।... और देखें

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