Bhagalpur Silk News: भागलपुरी सिल्क की 10 जरूरी बातें, विदेशों में भी है इसका जलवा

Bhagalpur Silk News: अगर आप भी रेशमी कपड़ों के शौकीन हैं और भागलपुरी सिल्क साड़ियां खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो पहले इसके बारे में जान लेना जरूरी है। इससे न केवल आपको इसकी खरीदारी में मदद मिलेगी, बल्कि आप इसकी क्वालिटी को भी समझ पाएंगे।

Bhagalpur Silk

भागलपुर सिल्क

Bhagalpur Silk News: अगर आपको भी रेशमी कपड़े पसंद हैं और इस बार के कलेक्शन में आप रेशमी कपड़ों को शामिल करना चाहते हैं या आप इसकी क्वालिटी के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपको भागलपुर के रेशम के बारे में जान लेना चाहिए, जिससे आपको इसकी खरीदारी करने में काफी आसानी होगी। आज हम आपको भागलपुर के रेशम के बारे कुछ जरूरी बाते बताएंगे, जो आपके लिए कारगर साबित हो सकता है। चलिए जानते हैं।

आपको बता दें कि भागलपुरी रेशम का नाम बिहार के एक शहर भागलपुर के नाम पर रखा गया है। यही नहीं भागलपुर को भारत का रेशम शहर भी कहा जाता है। भागलपुरी साड़ी बनाने के लिए खासकर भागलपुरी रेशम का ही इस्तेमाल किया जाता है।

1. भारत में पाए जाने वाले एन्थेरिया पफिया नामक एक रेशमकीट कोकून का इस्तेमाल भागलपुरी रेशम बनाने के लिए होता है। इन रंग-बिरंगे धागों को टैसर कोकून (एंथेरिया पफिया रेशमकीट कोकून) से उत्पादित रेशम से बनाया जाता है। जिसके बाद इन्हीं धागों से सुंदर और डिजाइनदार भागलपुरी रेशम साड़ियां तैयार की जाती हैं।

2. भागलपुरी रेशम का एक नाम तस्सर रेशम भी है। यही वजह है कि यहां की साडियों को तस्सर रेशम साड़ियां भी कहते हैं। वहीं इन रेशम से बने कपड़ों को अन्य कपड़ों से बेहतर माना जाता है। हालांकि आजकल कई तरह के कपड़े बाजारों में मिलते हैं, जिससे इसकी डिमांड पहले के मुताबिक कम हो गई है, लेकिन पहले इन रेशमी कपड़ों को काफी मान्याता दी जाती थी।

3. आपको बता दें कि इस कला का एक मिशन किसी भी रूप में एनिमल क्रुएलिटी क को कम करना भी है। यह प्रकृति के अनुकूल है, जिसमें बिना किसी क्रूरता के रेशम का उत्पादन किया जाता है।

इसी कारण से भागलपुर को "द पीस सिल्क" भी कहा जाता है। भागलपुरी रेशम अपनी बेहतर गुणवत्ता और सुंदरता के कारण पहचानी जाती है।

4. भागलपुर में हर साल करीब 100 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय होता है, जिसमें 50 प्रतिशत स्थानीय बाजार से और 50 प्रतिशत निर्यात बाजार से आता है। कोकून से रेशम के धागे निकालने और कपड़े की बुनाई के लिए सूत कातने का काम लगभग दस लाख लोग करते हैं। भागलपुरी रेशम कई शैलियों में आता है, इनमें कटिया, एरी, शहतूत और गिचा शामिल हैं।

5. चीन के बाद भारत भागलपुरी रेशम का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है। दूसरे रेशमी कपड़ों के तुलना में भागलपुर रेशम ज्यादा बेहतर होता है, जिससे कि यह गर्मी के मौसम में ज्यादा आरामदायाक साबित होता है।

6. वहीं भागलपुर के रेशम का रंग दूसरों की तुलना में हल्का सुनहरा होता है, जिस कारण इसे ज्यादातर शादियों और पार्टियों में भी पहना जाता है।

7. रेशमी कपड़ों का काम करना काफी मेहनत का काम है। वहीं रेशम का काम करने वाले ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे होते हैं। तीन दीनों में लगभग 10 मीटर रेशम बनाया जाता है, जिससे कि महीनें में कम से कम 10 साड़िया तैयार की जाती हैं। इन साड़ियों की कीमत की बात करें तो यह तकरीबन 3000 रुपये से लेकर 3500 रुपये की होती हैं।

8. आपको बता दें कि मौर्य युग में इस कलाकृति की पहचान मिली थी। उस समय ज्यातर लोग रेशम के बने कपड़ों का ही इस्तेमाल करते थे। जिसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी इस काम को बढ़ाया गया।

9. साड़ियों के अलावा रेशम से कई तरह के और चीजें बनाई जाती है, जिसमें पर्दे, टेबल कवर, कुशन और बेड कवर जैसी साज-सज्जा और जरूरत की चीजें भी शामिल हैं।

10. वहीं इस रेशमी कपड़ो की डिमांड देश सहित फैशन के लिए मशूर पेरिस और लंदन जैसे शहरों में भी है। भागलपुरी रेशम से निर्मित कपड़ों को अंतरराष्ट्रीय रनवे और फैशन कार्यक्रमों में भी प्रदर्शित किया जाता है, जिससे दुनिया भर के लाखों परिधान निर्माता आकर्षित हुए हैं।

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Maahi Yashodhar author

माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिटिक्स न्यूज कवर करती हैं। इसके अलावा वह डेवलपमेंट क...और देखें

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