INDIA से भारत बनने का खर्चा भी जान लें, सरकार को खजाने से निकालने होंगे हजारों करोड़

INDIA To Bharat Branding And Marketing Cost: दुनिया के सातवें सबसे बड़े देश और 28 राज्य वालें इंडिया और भारत के 766 जिले और 6.40 लाख से ज्यादा गांव में नाम बदलने का खर्चा क्या आएगा ?

INDIA TO Bharat Cost

बदला सकता है देश का नाम

INDIA To Bharat Branding And Marketing Cost: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए निमंत्रण पत्र ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखे होने से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार, देश का नाम इंडिया की जगह भारत करने जा रही है। इस बात को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि सरकार ने कुछ ही दिन पहले संसद का विशेष सत्र बुलाने की सूचना दी है। इसके अलावा केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के तरफ से भारत नाम का समर्थन किया जा रहा है। अभी पासपोर्ट, आधार, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई से लेकर कई संस्थाओं के नाम से लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं और रोज मर्रा के दस्तावेजों में भी इंडिया (INDIA) का जिक्र है।

ऐसे में देश का नाम बदलने की प्रक्रिया राजनीतिक , प्रशासनिक और आर्थिक रुप से भी प्रभावित करेगी। सवाल उठता है कि दुनिया के सातवें सबसे बड़े देश और 28 राज्य वाले इंडिया और भारत के 766 जिले और 6.40 लाख से ज्यादा गांव में नाम बदलने का खर्चा क्या आएगा...

15000 करोड़ से ज्यादा का खर्च

अगर मोदी सरकार देश का नाम इंडिया से केवल भारत करती है, तो उस पर होने वाले खर्च का अंदाजा साउथ अफ्रीका के इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी वकील डैरेन ओलीवियर (Darren Olivier) के कैलकुलेशन से समझा जा सकता है। ओलिवियर ने अपने अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड (Swatziland) का नाम एसवाटिनी (Eswatini) करने पर आए खर्च का अध्ययन किया था। और उन्होंने साल 2018 में Afro-IP ब्लॉग में यह बताया था कि नाम बदले की इस प्रक्रिया में रीब्रांडिंग का करीब 60 लाख डॉलर का खर्च आया।

ओलीवियर का मानना है कि देश का नाम बदलने की प्रक्रिया में उसके रीब्रॉडिंग का खर्च शामिल होता है। आम तौर किसी बड़ी कंपनी का मार्केटिंग खर्च उसके रेवेन्यु का 6 फीसदी हिस्सा होता है। और कुल मार्केटिंग खर्च की 10 फीसदी राशि रीब्रांडिंग पर खर्च होती है। ओलिवियर के इस फॉर्मूले में लीगल खर्च को शामिल नहीं किया गया है।

ओलिवियर के फॉर्मूले को अगर भारत पर लागू किया जाय। तो भारत के कुल रेवेन्यू रिसिप्ट से (कमाई) से नाम बदलने का खर्च निकाला जा सकता है। साल 2023-24 के बजट अनुमान को देखा जाय तो इस दौरान भारत सरकार की कमाई करीब 26 लाख करोड़ रुपये होगी। उस आधार पर नाम बदलने की एक्सरसाइज में करीब 15,600 करोड़ रुपये खर्च आएगा। हालांकि यह खर्च अकेले मोदी सरकार नहीं करेगी, इसमें राज्य सरकारें का खर्च भी शामिल हो सकता है। लेकिन इस कवायद को लेकर अभी तक सरकार के तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

बन जाएंगी 15 संसद

अगर 15 हजार करोड़ रुपये की रकम की तुलना की जाय, तो इतनी रकम में 15 नई संसद बन जाएगी। भारत सरकार को नई संसद बनाने में 970 करोड़ रुपये का खर्च आया था। इसी तरह मोदी सरकार हर महीने 80 करोड़ लोगों को जो मुफ्त राशन दे रही है। उसका करीब एक महीने का खर्च निकल जाएगा। खाद्य सुरक्षा के तहत हर महीने 16,600 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।

नोटः नाम बदलने का खर्च पूरी तरह से डैरेन ओलीवियर (Darren Olivier) के फॉर्मूले के आधार पर है। टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल अलग से इस खर्च की पुष्टि नहीं करता है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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