कॉलेज प्रोजेक्‍ट chatGPT से करता था स्‍टूडेंट ! ग्रेजुएशन सेरेमनी में खुद कुबूला, यूसर्ज ने जमकर की आलोचना

Viral News: पोस्ट में लिखा था, 'यूसीएलए स्नातक ने आधिकारिक रूप से स्नातक होने से ठीक पहले अपने अंतिम प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल किए गए चैटजीपीटी को दिखाकर जश्न मनाया।' जैसे ही वीडियो को लाखों लोगों ने देखा, सोशल मीडिया यूजर्स ने देखा तो छात्रों को इसके परिणामों के बारे में न सोचने के लिए फटकार लगाई।

वायरल हो रही पोस्‍ट।

वायरल हो रही पोस्‍ट।

Viral News: कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स (UCLA) के एक छात्र की हरकत इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। दावा है कि, उसने अपने ग्रेजुएशन सेरेमनी में कॉलेज के काम को पूरा करने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग करने की बात खुले तौर पर स्वीकार की। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, ग्रेजुएशन गाउन पहने हुए छात्र ने अपना लैपटॉप निकाला और चैटजीपीटी (OpenAI टूल) प्रदर्शित किया, जिसने उसे अपने अंतिम प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद की।

पोस्ट में लिखा था, 'यूसीएलए स्नातक ने आधिकारिक रूप से स्नातक होने से ठीक पहले अपने अंतिम प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल किए गए चैटजीपीटी को दिखाकर जश्न मनाया।' जैसे ही वीडियो को लाखों लोगों ने देखा, सोशल मीडिया यूजर्स ने देखा तो छात्रों को इसके परिणामों के बारे में न सोचने के लिए फटकार लगाई। एक यूजर ने कहा कि, 'धोखाधड़ी हमेशा रहेगी; हालांकि, इस तरह से इसका दिखावा करना अगले स्तर की मूर्खता है। भले ही यह "हा हा यह एक मज़ाक है!!!" हो, दरबारी विदूषक मत बनो। यह तुम्हारा पीछा करेगा।' दूसरे यूजर ने कहा कि, 'यह आदमी सच बोलने या किसी ऐसी चीज़ के बारे में मज़ाक करने के लिए मूर्ख है जिसे गलत साबित करना उसके लिए कठिन होगा।' तीसरे यूजर ने कहा कि, 'यह मूर्खतापूर्ण कदम है। खासकर इसलिए क्योंकि स्नातक उपाधि प्रदान करने का मतलब डिग्री प्रदान करना नहीं है। वसंत तिमाही के ग्रेड पोस्ट होने और डिग्री प्रदान किए जाने के आठ सप्ताह बाद तक इंतजार करना चाहिए था।'

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि AI चैटबॉट्स इंसानों को अपने दिमाग का कम इस्तेमाल करने पर मजबूर कर रहे हैं। चैटबॉट्स के इस्तेमाल से कामों को 60 प्रतिशत तेजी से पूरा करने में मदद मिली, साथ ही इसने "जर्मेन कॉग्निटिव लोड" को 32 प्रतिशत तक कम कर दिया। अध्ययन से पता चला कि 80 प्रतिशत से अधिक ChatGPT उपयोगकर्ता कुछ मिनट पहले लिखे गए निबंधों से उद्धरण नहीं दे सकते थे। ChatGPT का उपयोग करके लिखे गए निबंध बहुत हद तक समान थे। जब शिक्षकों से उन्हें जाँचने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें लग रहा था कि 'कुछ गड़बड़ है।'

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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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