Sharad Purnima Ke Bhajan Lyrics In Hindi (शरद पूर्णिमा के भजन लिरिक्स लिखित में): शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती है क्योंकि उस दिन चांद पूरी रोशनी के साथ निकलता है और उसकी चांदनी में अमृत जैसी शांति और ऊर्जा होती है। ऐसे पवित्र समय में जब हम भजन गाते हैं यानी भगवान के नाम का कीर्तन करते हैं तो मन को बहुत शांति मिलती है और घर का माहौल भी सकारात्मक और भक्तिमय हो जाता है। यहां से आप शरद पूर्णिमा के भजन पढ़ सकते हैं।
घर में पधारो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो,
कष्ट निवारो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो,
तुम रिद्धि वाली तुम सीधी वाली,
दुःख से उभारो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो,
सब सुख पाए धन्य हो जाए,
जिस को निहारो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो,
भक्त पुकारे आरती उतारे ,
ममता रूप धारो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो,
मंगल करनी अमंगल हरनी,
संकट टालो लक्ष्मी मैया मेरे घर में पधारो।
शंख विजय घंट बजे आओ महारानीये,
मेरे घर उजाला करो आओ महारानीये,
धुप जले दीप जले आसान बिछाया है,
अंगना आओ लक्ष्मी मैया द्वार सजाया है,
आओ माँ लक्ष्मी करदो उजाला,
तेरा प्रताप मां जग में निराला।
धुप दीप पान नैवेद्य बनाया है,
फूलों से लक्ष्मी रानी आसान सजाया है,
अक्षत के स्वस्तिक पे कलश बिठाया है,
आके मान सम्मान भैभव बढ़ाओ माँ,
आओ माँ लक्ष्मी करदो उजाला,
तेरा प्रताप मां जग में निराला।
चुनरी सितारों वाली चूड़ा सिंदूर लाई,
चांदी सोना हीरे जड़े सिंगार लाई,
तुझको जिमाने खीर पुरिया बनाई,
अल्ते के थाल में पांव रखके आओ मां,
आओ माँ लक्ष्मी करदो उजाला,
तेरा प्रताप मां जग में निराला।
शंख विजय घंट बजे आओ महारानीये,
मेरे घर उजाला करो आओ महारानीये,
धुप जले दीप जले आसान बिछाया है,
अंगना आओ लक्ष्मी मैया द्वार सजाया है,
आओ माँ लक्ष्मी करदो उजाला,
तेरा प्रताप मां जग में निराला।
विश्वप्रिया कमलेश्वरी, लक्ष्मी दया निधान,
तिमिर हरो अज्ञान का, ज्ञान का दो वरदान।
आठो सिद्धिया द्वार तेरे, खड़ी है माँ कर जोड़,
निज भक्तन की नाँव को, तट की ओर तू मोड़।
निर्धन हम लाचार बड़े, तू है धन का कोष,
सुख की वर्षा करके माँ, हर लो दुःख का दोष।
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
जीवन चंदा को मैया, ग्रहण लगा घनघोर,
डगमग डोले पग हमरे, हम मानव कमज़ोर,
महासुखदाई नाम तेरा, कर कष्टों का अंत
वनस्थली जैसी ये काया, दे दो इसे बसंत
दिव्य रूप नारायणी, पारस है तेरा धाम,
तेरे सुमिरन से होते, संतन के सिद्ध काज।
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
स्वर्ण सी तेरी कांति, भय का करती नाश,
तेरी करुणा से टूटे, हर जंजाल का पाश,
मैया शोक विनाशिनी, ऐसा करो उपकार,
जीवन नौका हो जाए, भवसिंधु से पार,
शेष की सैया बैठ के, सकल विश्व को देख,
तेरी दृष्टि में मैया, हर मस्तक की रेख।
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
सिंधु सुता भागेश्वरी, दीजो भाग्य जगाय,
तज के जग को हम तेरी, शरण गए हैं आय,
तू बैकुंठ निवासिनी, हम नरकों के जीव
प्राणहीन ये देह कहे, कर दो हमें सजीव,
कमला वैभव लक्ष्मी, सुख सिद्धि तेरे पास,
सागर तट पे हम प्यासे, मैया बुझा दो प्यास।
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
धन धान्य से घर हमरे, सदा रहे भरपूर,
हर्ष के फूल खिलाय के, कांटे कर दो दूर,
तेरी अलौकिक माया से, भागे दुःख संताप,
रोम रोम माँ करे तेरा, मंगलकारी जाप,
हर की है अर्धांगिनी, कृपा की दृष्टि कर,
अन्न धन संपत्ति से माँ भरा रहे ये घर,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
सागर मंथन से प्रकटी, ज्योति अपरम्पार,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हार,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हार,
मन से चिंतन हम करे, सबकी चिंता हार,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता,
जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
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