Papmochani Ekadashi Vrat Katha: सभी पापों का नाश करती है पापमोचिनी एकादशी, व्रत रखने वाले इस दिन जरूर पढ़ें ये पौराणिक कथा

Papmochani Ekadashi Vrat Katha (पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा 2025): पापमोचिनी एकादशी का अर्थ है सभी पापों का नाश करने वाली एकादशी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी सच्चे मन से व्रत रखता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को इस कथा को जरूर पढ़ना चाहिए।

Papmochani Ekadashi Vrat Katha

Papmochani Ekadashi Vrat Katha

Papmochani Ekadashi Vrat Katha (पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा 2025): इस साल पापमोचिनी एकादशी का व्रत 25 मार्च को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है इस व्रत को करने से बड़े से बड़े पापों से मुक्ति मिल जाती है। ये व्रत हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को पापमोचिनी एकादशी की कथा जरूर पढ़नी चाहिए। कहते हैं इस कथा का पाठ करने से ही इंसान के सभी तरह के पाप नाश हो जाते हैं।

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पापमोचिनी एकादशी कथा (Papmochani Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में चैत्ररथ नाम का एक बहुत खूबसूरत वन हुआ करता था। जिसमें च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे और इसी जंगल में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण भी किया करते थे। इस वन में मेधावी नामक ऋषि थे जो शिव भक्त थे वहीं अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी हुआ करती थीं।

एक दिन कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजू घोषा नाम की एक बेहद सुन्दर अप्सरा को वन में भेजा। अप्सरा ने मुनि का ध्यान भंग कर दिया। मुनि मेधावी अप्सरा मंजूघोषा पर मोहित हो गए और इसके बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला कर लिया। कई साल दोनों ने साथ में बिताए। फिर एक दिन जब अप्सरा ऋषि से वापिस जाने के लिए अनुमति मांगने लगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल का एहसास हुआ। जिसके बाद उनके क्रोध का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे डाला।

अप्सरा मंजूघोषा श्राप की बात सुनते ही ऋषि के पैरों में गिर पड़ी। तब मंजूघोषा की विनती सुनकर मेधावी ऋषि का दिल पसीज गया और उन्होंने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे सभी पापों का नाश हो जाएगा। प्सरा को मुक्ति का मार्ग दिखाने के बाद जब मेधावी ऋषि अपने पिता के पास पहुंचे तो उन्हें श्राप की बात बताई। जिसे सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा कि, ‘पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, इससे तुम्हें भी पाप लगेगा, इसलिए पाप से मुक्ति के लिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो।’

कहा जाता है कि जिस तरह से पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पाई ठीक वैसे ही हर इंसान को अपने-अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत जरूर रखना चाहिए।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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