बहुत शौक से पहनते हैं मोती तो पहले जान लें इसे धारण करने के नियम, वरना जीवन में मच सकती है उथल पुथल
How to Wear Pearl Gemstone (मोती धारण करने के नियम) : रत्न शास्त्र के अनुसार, हर रत्न की अलग-अलग विशेषता है। मोती धारण करने की सलाह ग्रहों और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए दी जाती है। तो चलिए जानते हैं इसे कब और कैसे धारण करना चाहिए। जानें मोती धारण करने के क्या नियम हैं।

मोती धारण करने के नियम
मोती धारण करने की विधि
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- मोती धारण आप किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन कर सकते हैं।
- मोती धारण करने से पहले इसे दूध, दही, शहद, घी, तुलसी पत्ते, पंचामृत आदि से स्नान कराएं।
- इसके बाद गंगाजल से साफ करके धूप-दीप और कुमकुम से अंगूठी की पूजन।
- फिर, ॐ चं चन्द्राय नमः मंत्र को 108 बार जपने के बाद इसे कनिष्ठा उंगली यानी सबसे छोटी उंगली में मोती धारण कर लें।
- किसी भी रत्न का सकारात्मक प्रभाव बनाए रखने के लिए उसकी शुद्धता पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है।
मोती धारण करने के नियम
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, मोती को हमेशा चांदी की अंगूठी में जड़वा कर ही धारण करना चाहिए।
- मोती धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्ल पक्ष का सोमवार है।
- इसके अलावा मोती को पूर्णिमा तिथि पर भी धारण कर सकते हैं।
- मोती रत्न को गंगाजल से धोकर इसे शुद्ध करके ही धारण करना चाहिए।
मोती से क्या नुकसान हो सकता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्यादा भावनात्मक या क्रोधी लोगों को मोती या चांदी धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनका क्रोध और भी ज्यादा बढ़ सकता है। इसके अलावा जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा 10वें या 12वें स्थान पर हो उन्हें भी मोती धारण नहीं करना चाहिए। साथ ही मोती धारण करते समय ये याद रखें कि मोती के साथ हीरा, पन्ना या नीलम आपके उंगलियों में पहले से न हो। ये सभी रत्नों को एक साथ धारण करना अशुभ प्रभाव का संकेत माना जाता है।
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