अध्यात्म

कार्तिक महीने में भगवान श्रीकृष्ण ने की थी ये खास लीला, जानिए कान्हा कैसे बने दामोदर?

Lord Krishna Damodar leela: कार्तिक मास हिंदू कैलेंडर का 8वां महीना है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण के दामोदर स्वरूप की पूजा होती है। इस कारण कार्तिक को दामोदर मास भी कहा जाता है। 8 अक्टूबर से कार्तिक महीना शुरू हो चुका है और यह महीना 5 नवंबर तक रहेगा। आइए जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने दामोदर लीला क्यों की थी।

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भगवान श्रीकृष्ण कैसे बने दामोदर? ( Pic Credit- Canva)

Lord KrishnaDamodar leela: कार्तिक मास हिंदू धर्म में भक्ति और आध्यात्मिकता का अनमोल महीना है, जो भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण के दामोदर रूप की पूजा के लिए खास है। वर्ष 2025 में यह पवित्र मास 8 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चलेगा। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की दामोदर लीला का विशेष महत्व है। इसमें मां और बच्चे के बीच के अनूठे प्रेम का अनुपम दृश्य है।

क्यों की थी कान्हा ने दामोदर लीला?

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में अपनी बाल लीलाओं से सभी को मोहित कर लिया था। कार्तिक मास में एक दिन माता यशोदा दूध उबाल रही थीं और नन्हे कान्हा अपनी शरारत में मस्त थे। कान्हा ने देखा कि दूध का भगोना चूल्हे पर उबल रहा है, लेकिन उनकी मां का ध्यान उन पर नहीं है। अपनी मां का ध्यान खींचने के लिए, नटखट कृष्ण ने माखन की मटकी तोड़ दी और उसे बड़े चाव से खाने लगे। गोपियों ने यह देखकर यशोदा से शिकायत की। यशोदा मां थोड़ा नाराज हुईं, लेकिन उनके मन में कान्हा के लिए अपार प्रेम भी था।

यशोदा मां ने सोचा कि इस शरारत के लिए कान्हा को हल्की सजा देनी चाहिए। उन्होंने एक रस्सी ली और कृष्ण को ऊखल (लकड़ी का ओखल) से बांधने की कोशिश की, लेकिन भगवान ने अपनी लीला शुरू कर दी, ऐसे में यशोदा माता जितनी बार रस्सी बड़ी करें तो रस्सी बार-बार छोटी पड़ जाए। यशोदा जितनी लंबी रस्सी लातीं, वह उतनी ही कम पड़ जाती थी। थककर यशोदा ने अपनी कोशिश छोड़ दी, लेकिन उनके प्रेम और समर्पण को देखकर श्रीकृष्ण ने स्वयं को बंधवा लिया। इस तरह, माता यशोदा ने कान्हा को ऊखल से बांध दिया। इसी कारण भगवान का नाम दामोदर पड़ा, जिसका अर्थ 'रस्सी से बंधा हुआ उदर (पेट)' है।

यक्षों को श्राप से किया मुक्त

इस दौरान कान्हा बंधे हुए ऊखल के साथ रेंगते हुए दो यमलार्जुन वृक्षों के बीच गए। ये वृक्ष नलकुबेर और मणिग्रीव नामक दो यक्ष थे, जिन्हें नारद मुनि के श्राप के कारण वृक्ष बनना पड़ा था। श्रीकृष्ण ने अपनी लीला से ऊखल को इन वृक्षों के बीच खींचा, जिससे दोनों वृक्ष धराशायी हो गए और नलकुबेर-मणिग्रीव अपने मूल रूप में मुक्त हो गए। उन्होंने भगवान की स्तुति की और मोक्ष की प्राप्ति की। जब दोनों वृक्ष गिरे तो माता को कान्हा की चिंता हुी और वे उनके पास दौड़ी-दौड़ी आईं और कान्हा को गले से लगाकर कहा कि मैं अब तुम्हें कभी सजा नहीं दूंगी।

दामोदराष्टक का किया जाता है पाठ

कार्तिक मास में ही श्रीकृष्ण ने दामोदर लीला की थी। इस कारण कार्तिक महीने का दामोदर माह कहा गया। इस महीने में दामोदराष्टक का पाठ करना शुभ होता है, जिसमें इस लीला की महिमा का वर्णन है। इस महीने में दीपदान, तुलसी पूजा और स्नान जैसे अनुष्ठान भी किए जाते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Times Now Navbharat इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Mohit Tiwari
Mohit Tiwari Author

मोहित तिवारी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रतिष्ठित न्यूजपेपर में फील्ड रिपोर्टिंग से की थी। मोहित ... और देखें

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