Jitiya Prav Ka Geet 2024: जितिया व्रत के दिन गाएं ये लोकगीत, यहां देखें गाने के लिरिक्स

Jitiya Vrat Geet 2024: इस दिन लोकगीत गाने की परंपरा है। ऐसे में आइए यहां देखें जितिया व्रत के लोकगीत के लिरिक्स।

Jitiya Vrat Geet 2024

Jitiya Vrat Geet 2024

Jitiya Prav Ka Geet 2024 : जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाय से की जाती है। ये व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। ये व्रत संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। जितिया पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में विशेषतौर पर किया जाता है। जितिया पर्व के दिन लोकगीत गाने की परंपरा है। इस दिन गीत गाए जाते हैं। आइए यहां देखें जितिया पर्व के गीत लिरिक्स।

Jitiya Vrat Geet Lyrics (जितिया व्रत लिरिक्स)

जुग जुग जिए मोर बबुआ दुलरुवा

जुग जुग जिए मोर
जुग जुग जिए मोर बबुआ दुलरुवा
जिउत वहांन देवता से करब हम अरजिया
ऐ हो सखी भुखीब
ऐ हो सखी भुखीब
जितिया के परबिय
बड़ा भारी होला सखी जितिया के बरतिया
बड़ा भारी होला
तीन दिन के होला सखी पावन परबिया
न खाये उपवास पारण के बा बिधिया
आशीन अनहरिया के अस्टमी तिथि के
जीवतिया पुजाला निरजल व्रत रख के
सासु जी से पूछब
सासु जी से
सासु जी से पूछब कुल व्रत के नियमिय
ऐ हो सखी भुखीब
ऐ हो सखी भुखीब
जितिया के परबिया
बड़ा भारी होला सखी जितिया के बरतिया
बड़ा भारी होला
सप्तमी के दिने होला गंगा आसन्नवा
नवनि संग मडवा वर्ती खाये एहि दिनवा
नेनुवाके पातपर पुवा पकवनवा
चील सियारिन दिहल जाला भोगवा
गोतनि सग करब हम
गोतनि सग
गोतनि सग करब हम
भोर में सरगहिया
ऐ हो सखी भुखीब
ऐ हो सखी भुखीब
जितिया के परबिया
बड़ा भारी होला सखी जितिया के बरतिया
बड़ा भारी होला
लव कुश पुजला सखी अष्टमी के संझिया
कथा सुनीली बूढ़ होके चाहे कन्या
नवमी के भोर होला पारण के दिनवा
कांडा गिराउके बनेला भोजनवा
सईया से मगाइब हम
उत्तम जी से
खुसबू मगाइये सोने के जिउतिया
ऐ हो सखी भुखीब
ऐ हो सखी भुखीब
जितिया के परबिय
बड़ा भारी होला सखी जितिया के बरतिया
बड़ा भारी होला

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

तोहरा प बाबू कबहू आचना आए
अचरा के फुलवा कबो ना मुरझाए
तोहरा प बाबू कबहू आचना आए
अचरा के फुलवा कबो ना मुरझाए
तोहरो जीनगीया के दिही सवार हो
जिऊत वाहन देव अर्जी करीह स्वीकार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
हमरो दुलरवा के नजरों ने लागे
रहीह तू हरदम सबका से आगे
पढ़ लिख के बबुआ खूब नाम कमईह
कौनो परेशानी से तू कबहू ना डेरईह
जीऊत वाहन देव के बा महिमा अपार हो
एही से त निर्जल भूकल बानी त्यौहार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
हमरो उमर तोहरा के लग जाए
रोग बल्ला कोई छू नहीं पाई
पावन परब हम तोहरे ला करिले
कवनो ना गलती होखे ध्यान हम धरीले
तोहरे से रोशन बा अंगना हमार हो
कबहु भुलइह ना माई के दुलार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो
जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो
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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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