सेहरा क्यों बांधते हैं दूल्हे, बिना सेहरा बांधे क्यों नहीं निकलती लड़कों की बारात, जानें सेहरे का विज्ञान
Why Grooms wear Sehra: सेहरा आमतौर पर फूलों, मोतियों, चमकीले धागों और कभी-कभी सोने या चांदी की कारीगरी से बनाया जाता है। मुस्लिम सेहरे में फूलों के साथ-साथ मोती, जरी और चमकदार तारों का उपयोग होता है। यह चेहरे को अधिक ढकने वाला होता है। आजकल जो डिज़ाइनर सेहरे मिल रहे हैं उनमें हीरे, कुंदन और अन्य कीमती पत्थरों का उपयोग भी होने लगा है।

सेहरा क्यों बांधते हैं दूल्हे?
Importance and Significance of Sehra: दीवाना मुझ सा नहीं फिल्म में एक गाना है- मैं सेहरा बांध कर आऊंगा मेरा वादा है, मैं तेरी मांग सजाऊंगा मेरा वादा है। जी हां भारत में जब भी कोई लड़का दूल्हा बनकर अपनी दुल्हनिया ब्याहने निकलता है तो उसके सिर पर सेहरा जरूर होता है। लड़का सूट पहने या शेरवानी या फिर कुछ और, सेहरा जरूर बांधता है। दूल्हे के सिर सेहरा सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि सिख और मुस्लिम धर्म में भी बंधता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर ये सेहरा क्यों बांधते हैं? क्या है दुल्हे के सिर सेहरा सजने का महत्व? आइए डालते हैं नजर:
दूल्हा क्यों पहनता है सेहरा
भारत में माना जाता है कि शादी ब्याह जैसे शुभ अवसर पर दूल्हे को नजर लगने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए बारात निकलने से पहले दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है ताकि उसका चेहरा बुरी नजर से बचा रहे। यहां सेहरे को आध्यात्मिक कवच की तरह इस्तेमाल किया जाता है। को बारा सेहरा चेहरे को आंशिक रूप से ढककर बुरी नजर से सुरक्षा प्रदान करने का प्रतीक माना जाता है। यह एक तरह का आध्यात्मिक कवच है।
सेहरा ना सिर्फ बुरी नजर से बचाता है बल्कि दूल्हे के शाही और आकर्षक लुक भी देता है। जैसे पहले के जमाने में राजा महाराजा मुकुट पहनते थे उसी तरह बारत वाले दिन दूल्हे राजा सेहरा बांधते हैं। बारातियों की भीड़ में सेहरा दूल्हे को खास लुक तो देता ही है, भीड़ से अलग भी करता है।
कैसे बनता है सेहरा
सेहरा आमतौर पर फूलों, मोतियों, चमकीले धागों और कभी-कभी सोने या चांदी की कारीगरी से बनाया जाता है। मुस्लिम सेहरे में फूलों के साथ-साथ मोती, जरी और चमकदार तारों का उपयोग होता है। यह चेहरे को अधिक ढकने वाला होता है। आजकल जो डिज़ाइनर सेहरे मिल रहे हैं उनमें हीरे, कुंदन और अन्य कीमती पत्थरों का उपयोग भी होने लगा है।
सेहरा बांधने का महत्व
सेहरा केवल एक सजावटी वस्तु नहीं है, बल्कि यह दूल्हे के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। यह उसके सम्मान, जिम्मेदारी और विवाह के पवित्र बंधन में प्रवेश को दर्शाता है। सेहरा बांधने की रस्म अक्सर परिवार के बड़ों द्वारा की जाती है, जो आशीर्वाद और शुभकामनाओं का प्रतीक है।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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