लेखक से मुलाकात: रेखा और गुरू दत्त की जिंदगी के राज़ खोलने वाले लेखक ने लिखी थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री में रिश्‍तों का द्वंद लेकर आए Yasser Usman

EXCLUSIVE: बॉलीवुड के कई बड़े नामों की जिंदगियों को कागज पर उकेरा है नामचीन लेखक यासिर उस्मान ने। उन्‍होंने रेखा, गुरु दत्‍त, संजय दत्‍त और राजेश खन्‍ना पर बेस्‍ट सेलर्स लिखी हैं। लेकिन बॉलीवुड की परतें खोलते-खोलते यासिर को कुछ ओरिजिनल लिखने का जुनून चढ़ा। और फिर उनकी कलम से निकली है एक ओरिजिनल कहानी जो अब पाठकों के हाथ में है। अपनी इसकी किताब को लेकर यासिर उस्‍मान ने हमसे एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत की।

yasser usman as dark as blood

Yasser Usman

EXCLUSIVE:कहते हैं कि अच्‍छी कहानियां वही लिख पाते हैं, जो खुद कहानियां पढ़ने और देखने का शौक रखते हैं। जो शब्‍दों और भावों की बाढ़ में डूबता है, वही शब्‍दों के तिनकों को बटोर कर एक ऐसी नाव बना पाता है जो कागज पर भावनाओं का सैलाब ले आती है। पढ़ने वाला उसमें गोते खाता है और किताब पूरी करने के बाद उसे अपने ही जीवन का हिस्‍सा बनाकर यादों में संजो लेता है। कहानियों को कुछ ऐसे ही जिया है लेखक यासिर उस्‍मान ने। यासिर ने अपनी लेखनी की शुरुआत की बॉलीवुड बायोग्रफीज से जिसमें उन्‍होंने रेखा, संजय दत्‍त, गुरु दत्‍त और राजेश खन्‍ना जैसे सुपर सितारों के जीवन के अनछुए पहलू पाठकों के सामने लाकर रखे। और जब उनको जुनून चढ़ा कुछ नया लिखने का तो एक नई ओरिजिनल कहानी के साथ पाठकों के फिर सामने हैं। इस बार यासिर उस्‍मान लेकर आए हैं थ्रिलर उपन्यास एज़ डार्क एज़ ब्‍लड। इस सिलसिले में हमने इस बेहतरीन लेखक से खास बातचीत की।

1. बॉलीवुड राइटिंग से अचानक थ्रिलर उपन्यास लिखने का प्‍लान कैसे बनाया ?

यासिर उस्‍मान: मेरी लेखनी की शुरुआत पत्रकारिता से हुई। बॉलीवुड कवर करते हुए लगा कि कुछ अलग लिखा जाए। सितारों के रुपहले रूप तो सभी देखते हैं लेकिन उनकी जिंदगी की डार्क साइड भी होती है। मैं इसी स्‍याह पहलू को सामने लाना चाहता था। तो उन पर खूब रिसर्च करते हुए बहुत सी कहानियां मेरे सामने आईं। जब लंदन आया तो बॉलीवुड पर रिसर्च करने का उतना समय नहीं मिल रहा था। फिर दिमाग में बहुत सारे किरदार दौड़ रहे थे। बस जब कलम थामी तो ये एक थ्रिलर कहानी लिख डाली। हां, ये पहले से तय था कि मैं जब भी ओरिजिनल कहानी लिखूंगा, तो वो थ्रिलर ही होगी।

2. तो इस कहानी में हमें बॉलीवुड का पुट महसूस नहीं होगा। लेकिन आपके पाठक तो आपको इस चीज के लिए बहुत पसंद करते हैं।

यासिर उस्‍मान: अरे मेरी कहानी का जो मेन किरदार है, वो बॉलीवुड के ही एक बहुत बड़े नाम से प्रेरित है। मैंने सोचा था कि इस बारे में बाद में सीक्रेट खोलूंगा लेकिन अब बता ही देता हूं। यह किरदार पहली बार मेरे दिमाग में तब कौंधा था जब मैं गुरु दत्‍त जी पर किताब लिखने के लिए रिसर्च कर रहा था। उनके बारे में जितना सुनता था, उतनी ही तस्‍वीर इस करैक्‍टर की मुझे स्‍पष्‍ट होती थी। जब आप किताब पढ़ेंगे तो आपके जेहन में जो मेन किरदार की तस्‍वीर बनेगी वो बिल्‍कुल गुरु दत्‍त वाली ही होगी।

3. जीवनी लेखन से फिक्‍शन की ओर आना कितना आसान था?

यासिर उस्‍मान: सच कहूं तो फिक्‍शन लिखने के बाद ही पता लगा कि लेखनी का असली मतलब क्‍या है। जीवनी में आपको मेहनत किसी एक व्‍यक्‍ति की जिंदगी पर रिसर्च करने में होती है। उनसे जुड़े लोगों से जुड़कर उनकी जिंदगी के राज जानने होते हैं और उनको शब्‍दों में ढालना होता है। लेकिन फिक्‍शन इस सबसे एकदम अलग है। यहां आपके पास पूरा खाली कैनवस होता है जिसमें आपको हर तरह के रंग भरने होते हैं। एक किरदार के पीछे और किरदारों को बनाना पड़ता है और पाठक कहीं ऊब न जाएं, इस पर भी ध्‍यान देना होता है। मुझे इस किताब को लिखने में करीब डेढ़ साल का टाइम लगा। कभी कभी डेडलॉक भी होता था जिससे निकलने में बहुत फोकस करना होता था।

4. एज़ डार्क एज़ ब्‍लड- किताब का नाम जितना दिलचस्‍प है, उतना ही ध्‍यान इसका कवर पेज भी खींचता है।

यासिर उस्‍मान: हां, इस पर हमने मेहनत भी बहुत की है। कई डिजाइंस बनाए और रिजेक्‍ट कर दिए। जैसे नाम है, उसके लिए कोई चेहरा उकेरना भी सही नहीं लग रहा था। दरअसल चेहरा बनाने से पढ़ने वाला किरदार को एक दायरे में कैद कर देता है। हम इससे बचना चाहते थे। फिर ये एक मर्डर मिस्‍ट्री है - तो इसका स्‍पष्‍ट होना भी कवर पर जरूरी था। कहानी में भावनाओं का सैलाब है, रिश्‍तों की कशमकश है, पिता-पुत्र का द्वंद है - इन सभी चीजों के एक साथ सामने आने से ही अच्‍छा कवर बनता। फिर ये डिजाइन तैयार हुआ तो लगा कि पूरी कहानी को एक तस्‍वीर ही मिल गई है।

5. आपसे प्रेरणा लेकर कई युवा लेखक कहानियों के साथ प्रयोग करना चाहते हैं। तो उनको क्‍या सलाह देंगे।

यासिर उस्‍मान: जो खूब कहानियां पढ़ता है, कहानियां देखता है और आस पास की खबरों में भी कहानियों के अलग अलग पहलुओं से महसूस कर सकता है - वही अच्‍छी कहानियां लिख सकता है। जोनर चाहे कोई भी हो- फिक्‍शन या नॉन फिक्‍शन। अच्‍छी लेखनी की पहली शर्त यही है कि लेखक को खुद पढ़ने का शौक होना चाहिए और साथ ही भावनाओं से जुड़ना आना चाहिए। इसके बाद आपको अच्‍छी कहानी पिरोने से कोई नहीं रोक सकता। किसी किताब का बेस्‍ट सेलर होना न होना आपके हाथ में नहीं है लेकिन इसको बेहतरीन तरीके से पिरोना और पाठक को बांधकर रखना जरूर आपके हाथ में है।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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