सुप्रीम राहत: Modi सरनेम मामले में राहुल गांधी की सजा पर Supreme Court ने लगाई रोक
Rahul Gandhi Modi surname case: मोदी सरनेम मामले में आज राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इसी के साथ अब राहुल की संसद सदस्यता भी बहाल हो जाएगी।
Rahul Gandhi, PM Modi
Rahul Gandhi Modi Surname Case: मोदी उपनाम मानहानि मामले में सजायाफ्ता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत को अधिकतम दो साल की सजा देने की वजह अपने आदेश में बतानी चहिए थी, गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस पहलू पर विचार नहीं किया। इस फैसले के साथ ही कांग्रेस ने ट्वीट किया- यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है। सत्यमेव जयते। वहीं, प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- न्यायपूर्ण फैसला देने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद।
वकीलों की दलील
इस आपराधिक मानहानि मामले में गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने अदालत से कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ ढेर सारे सबूत उपलब्ध हैं। वहीं, अभिषेक सिंघवी ने बचाव में कहा कि पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम मोदी नहीं है, वह मोढ़ वणिक समाज से आते हैं। राहुल गांधी के वकील सिंघवी ने अपनी दलीलों में कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम मोदी नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया है। यह 13 करोड़ लोगों का एक छोटा सा समुदाय है और इसमें कोई एकरूपता नहीं है।
गुजरात हाई कोर्ट ने बरकरार रखी थी सजा
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने निचली अदालत द्वारा राहुल को दी गई सजा पर रोक से इनकार कर दिया था। इस मामले पर राहुल की संसद सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी। अब राहुल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। राहुल गांधी को इस मामले में दो साल की सजा हुई थी, जिसके कारण उनकी सांसद की सदस्यता रद्द हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की अपील पर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार से जवाब मांगा था। कांग्रेस नेता ने हलफनामे में अदालत को बताया था कि शिकायतकर्ता ने उन्हें अहंकारी बताया था क्योंकि उन्होंने मोदी उपनाम मानहानि मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था। इसमें कहा गया है कि गांधी ने हमेशा कहा है कि वह निर्दोष हैं और अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो वह काफी पहले ऐसा कर चुके होते।
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भाजपा विधायक की दलील
भाजपा विधायक ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि गांधी ने अहंकार दिखाया है और सर्वोच्च न्यायालय को उनकी याचिका खारिज कर उनसे कीमत वसूली जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि गांधी ने देश के चयनित प्रधानमंत्री के प्रति "व्यक्तिगत द्वेष" के कारण मानहानिकारक बयान दिए, और वह दी गई सजा के मामले में किसी सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा केस में तत्काल सुनवाई के लिए 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर अदालत सुनवाई के लिए तैयार हुई थी। इससे पहले 15 जुलाई को कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई सजा पर रोक से इनकार कर दिया था।
राहुल को दो साल की सजा
मार्च में सूरत की एक अदालत द्वारा अप्रैल 2019 के इस मामले में दोषी ठहराये जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था। अप्रैल 2019 में एक नामांकन रैली के दौरान उन्होंने कहा था, 'सभी चोरों के उपनाम मोदी ही क्यों होते हैं।' उनका अभिप्राय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े घोटालेबाजों ललित मोदी और नीरव मोदी के बीच कटाक्षपूर्ण तुलना से था।
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