संयोग है या साजिश! ओडिशा में 14 साल बाद शुक्रवार को ही पटरी से क्यों उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस?
Coromandel Express Train Accident:ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी में भीषण टक्कर हुई। इस हादसे में 260 अधिक लोगों की मौत हो गई। कोरोमंडल एक्सप्रेस ओडिशा में ही 2009 में शुक्रवार को ही करीब शाम 7 बजे पटरी से उतरी थी। ठीक उसी दिन और उसी टाइम 2023 में भी कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतरी।
Updated Jun 3, 2023 | 01:40 PM IST

Odisha Train Accident: 2009 में भी ओडिशा में शुक्रवार के दिन पटरी से उतरी थी कोरोमंडल एक्सप्रेस
Coromandel Express Train Accident: ओडिशा में शुक्रवार को तीन ट्रेन कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की भीषण टक्कर में 260 अधिक लोगों की मौत हो गई और 900 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा न केवल हाल के दिनों में बल्कि देश की आजादी के बाद की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है। ओडिशा में कोरोमंडल एक्सप्रेस 14 साल पहले भी 2009 में पटरी से उतरी थी। वह दिन भी शुक्रवार था। टाइम करीब शाम 7 बजे का था। 2023 में भी शुक्रवार के दिन ही शाम 7.30 से 7.40 के बीच कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे के शिकार हुई। अब सवाल उठता है यह संयोग है या साजिश? ओडिशा के बालासोर का यह ट्रेन हादसा पश्चिम बंगाल में 1999 में हुए गैसल रेल हादसा और 2010 में हुए ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसा से भी खतनाक है। ओडिशा के बालासोर में बहनागा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार को हावड़ा जाने वाली बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इसके पांच मिनट बाद वहीं पर चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इसके बाद कोरोमंडल के पटरी से उतरे डिब्बे वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गए।
शुक्रवार को ही 2009 हादसे के शिकार हुई थी कोरोमंडल एक्सप्रेस
कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 12842 चेन्नई और शालीमार (हावड़ा में) के बीच 27 घंटे और पांच मिनट में 1,662 किमी की दूरी तय करती है। कोरोमंडल एक्सप्रेस की टॉप स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा है। शुक्रवार की त्रासदी ने 2009 के कोरोमंडल हादसे की यादें ताजा कर दीं। जिस हादेसे में करीब 16 यात्रियों की मौत हो गई थी। यहा 13 फरवरी, 2009 की शुक्रवार को ही हुई थी। वह रात भी एक और दुर्भाग्यपूर्ण रात थी। 2009 की दुर्घटना तब हुई थी जब ट्रेन बहुत तेज गति से जाजपुर रोड रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी और ट्रैक बदल रही थी। ट्रेन का इंजन दूसरी ट्रैक पर चला गया और पलट गया। डिब्बे सभी दिशाओं में बिखर गए। 2009 की दुर्घटना भी शाम साढ़े 7 बजे से 7 बजकर 40 मिनट के बीच हुई थी।
बालासोर हादसा भी ओडिशा में शुक्रवार को शाम 7 बजे हुआ
ओडिशा के बालासोर रेल हादसे में मृतक संख्या शनिवार को बढ़कर 261 हो गई और दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान पूरा हो गया है। यह हादसा कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन से पास हुआ। यह हादसा भी शुक्रवार शाम को 7 बजे के आसपास हुआ यह हादसा भारत का अब तक का चौथा सबसे भीषण हादसा है। रेल मंत्रालय ने इस दुर्घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
यात्रियों और स्थानीय लोगों ने बताई हादसे की कहानी
स्थानीय लोगों ने कहा कि ट्रेन टकराने की तेज आवाजें सुनाई दीं और जब वे मौके पर पहुंचे तो चारों ओर सिर्फ क्षत-विक्षत डिब्बे और लाशें पड़ी थी। स्थानीय लोग यात्रियों के चीखने की आवाजें सुनकर घटनास्थल की तरफ दौड़े और वहां पटरी से उतरे रेल के डिब्बे देखे, जो स्टील का बिखरा हुआ ढेर लग रहे थे। एक यात्री ने कहा कि दुर्घटना के दृश्य इतने वीभत्स हैं कि उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमें झटका लगा और अचानक हमने ट्रेन के डिब्बे को एक तरफ मुड़ते देखा। ट्रेन इतनी तेजी से पटरी से उतरी कि हममें से कई लोग डिब्बे से बाहर गिर गए। हमने अपने चारों तरफ शव पड़े हुए देखे। एक अन्य यात्री ने मीडिया से कहा कि स्थानीय लोग तुरंत हमारी मदद करने के लिए आगे आए। उन्होंने न केवल लोगों को बाहर निकालने में मदद की, बल्कि हमारा सामान निकाला और हमें पानी पिलाया। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन का एक डिब्बा दूसरी ट्रेन के डिब्बे पर चढ़ गया, जिसके कारण वह डिब्बा जमीन में धंसा गया। इस दुर्घटना के बाद रेल पटरियां लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं और रेलगाड़ियों के कुछ डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़े हुए हैं, जबकि कुछ डिब्बे टकराने के कारण पलट गए हैं।
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