Arun Goel Resigns: चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद और अब इस्तीफा... क्या अकेले लोकसभा चुनाव करा सकते हैं CEC? क्या कहते हैं नियम
Arun Goel Resigns Controversy: अरुण गोयल दिसंबर, 2022 में रिटायर होने वाले थे। उन्होंने रिटायरमेंट से पहले 18 नवंबर, 2022 को वीआरएस ले लिया। इसके अगले ही दिन यानी 19 नवंबर को भारत सरकार ने उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया और 21 नवंबर को उन्होंने चुनाव आयुक्त का पदभार भी ग्रहण कर लिया। यह सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े हो गए।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार
Arun Goel Resigns Controversy Reason: चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है। यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और निर्वाचन आयोग को इसी महीने चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा करनी है। अरुण गोयल के इस्तीफ के बाद तीन सदस्यीय इस आयोग में चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार अकेले बचे हैं। दरअसल, अरुण गोयल के अलावा, दूसरे निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय इसी साल फरवरी में रिटायर हो चुके हैं और उनकी जगह अब तक कोई नियुक्ति नहीं की गई है।
ऐसे में लोकसभा चुनाव कराने की सारी जिम्मेदारी मुख्य निर्वायन आयुक्त यानी राजीव कुमार के कंधे पर आ गई है। अब सवाल यह है कि क्या मुख्य निर्वाचन आयुक्त अकेले लोकसभा चुनाव सम्पन्न कराएंगे? क्या उनके पास इसका अधिकार है? सरकार के पास अब क्या विकल्प है? चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संबंधी नियम क्या हैं? आइए जानते हैं सबकुछ डिटेल में...
पहले अरुण गोयल की कहानी, जिनकी नियुक्ति पर हुआ था विवाद
1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी अरुण गोयल दिसंबर, 2022 में रिटायर होने वाले थे। हालांकि, उन्होंने रिटायरमेंट से पहले 18 नवंबर, 2022 को वीआरएस ले लिया। इसके अगले ही दिन यानी 19 नवंबर को भारत सरकार ने उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया और 21 नवंबर को उन्होंने चुनाव आयुक्त का पदभार भी ग्रहण कर लिया। यह सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर कई सवाल खड़े हो गए और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्च जताते हुए कहा कि अरुण गोयल की नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई? एक ही दिन में उन्होंने सेवा से स्वैच्छित सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय ने उनकी फाइल को मंजूरी दे दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गई और गोयल के नाम को 24 घंटे के अंदर ही राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया की धारा छह का उल्लंघन किया गया है।
क्यों दिया इस्तीफा?
अरुण गोयल के अचानक हुए इस्तीफे ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं? हालांकि, यह तुरंत नहीं पता चल पाया है कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया। कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा गया है कि विभिन्न मुद्दों पर उनके मतभेद थे। वहीं, एनडीटीवी ने शीर्ष अधिकारियों के हवाले से कहा है कि अरुण गोयल ने इस्तीफा देते समय निजी कारणों का हवाला दिया है। शनिवार को जारी गजट में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) अधिनियम 2023 की धारा 11 के खंड (1) के तहत 9 मार्च 2024 से अरुण गोयल, निर्वाचन आयुक्त की ओर से दिये गए त्यागपत्र को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है।
अब सरकार के पास क्या विकल्प और क्या कहते हैं नियम?
- नए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023 के तहत केंद्र सरकार अब लोकसभा चुनाव से पहले दो नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर सकती है।
- चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल हैं- कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, दूसरी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति। इसमें प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता द्वारा अनुशंसित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं।
- इस प्रकार, पूरी प्रक्रिया में शामिल छह व्यक्तियों में से तीन सरकार के सदस्य हैं और दो सरकार द्वारा नियोजित हैं।
- खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, लेकिन चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
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