नई दिल्ली: क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे कि 1984 में जब कपिल देव और संदीप पाटिल अपने चरम फॉर्म पर थे, तब दोनों को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया था? इस बात को हजम करना तो और भी मुश्किल हो रहा था कि एक साल पहले देश को विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव को टीम से बाहर कर दिया गया। कपिल देव और संदीप पाटिल को टीम से बाहर करने का कारण आपको बताते हैं।
दोनों बल्लेबाजों ने इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली के कोटला मैदान में खराब शॉट खेलकर अपने विकेट गंवाए थे। इंग्लैंड की टीम ड्रॉ की तरफ बढ़ रही थी, लेकिन इनके विकेटों के बाद वह मैच जीतने में कामयाब हो गई। कपिल देव के इस बेफिक्रे बर्ताव से सुनील गावस्कर काफी नाराज हुए थे। इसका नतीजा ये रहा कि जब चयनकर्ताओं के चेयरमैन चंदू बोर्डे और तत्कालीन कप्तान सुनील गावस्कर बैठक में आएं तो 1984 में कोलकाता टेस्ट मैच में देव-पाटिल को बाहर करने का फैसला लिया गया।
कपिल देव ने कथित रूप से सुनील गावस्कर पर खुद को बाहर करने के भद्दे इल्जाम लगाए जबकि लिटिल मास्टर ने सभी दावों को खारिज किया। गावस्कर ने कहा कि वह चयन बैठक में देर से पहुंचे थे और महान ऑलराउंडर को बाहर करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। कोलकाता के दर्शक भी कपिल देव को बाहर करने से खुश नहीं थे। दर्शक चिल्लाएं- नो कपिल, नो टेस्ट। दर्शकों ने गावस्कर पर सब्जियां और फल भी फेंके। लिटिल मास्टर ने तब कसम खाई कि इस मैच के बाद वो कभी ईडन गार्डन्स पर मैच खेलने नहीं आएंगे।
तब बीसीसीआई अध्यक्ष एनकेपी साल्वे ने दोनों खिलाड़ियों (सुनील गावस्कर और कपिल देव) से सुलह करने की गुजारिश की। गावस्कर ने कई सालों तक इस मामले में अपनी सफाई दी थी। कुछ समय पहले गावस्कर ने कहा था, 'सबसे पहली बात भारतीय टीम का कप्तान चयन समिति बैठक में बिना वोट के बैठता है। वह समिति का सहयोग देने वाला सदस्य है। इसलिए कपिल देव को मैंने बाहर किया- यह बिलकुल गलत है।'
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