Neeli Chhatri Mandir: दिल्‍ली के इस मंदिर का है श्रीकृष्ण के शादी से संबंध, इंद्रपस्‍थ से जुड़ी है खास कहानी

Neeli Chhatri Mandir: दिल्‍ली के निगम बोध घाट पर स्थित नीली छतरी शिवालय को देश के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में शामिल किया जाता है। मान्‍यता है कि युधिष्ठिर ने भगवान कृष्‍ण की सलाह पर इस शिवलिंग की स्‍थापना कर अश्वमेध यज्ञ किया था। यहीं पर श्रीकृष्ण ने अपनी आठवीं पत्नी यमुना से विवाह किया था।

Neeli Chhatri Mandir

नीली छतरी शिवालय

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • देश के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में शामिल यह मंदिर
  • युधिष्ठिर ने इस शिवलिंग को स्‍थापित कर किया था अश्वमेध यज्ञ
  • मंदिर के छप पर पहले लगे थे नीलम के पत्‍थर, इसलिए पड़ा नीली छतरी नाम

Neeli Chhatri Mandir: दिल्‍ली के निगम बोध घाट पर स्थित नीली छतरी शिवालय महाशिवरात्रि महात्‍सव के लिए सज कर तैयार हो रहा है। यहां आने वाले हजारों भक्‍तों को कल भगवान शिव के अद्भुत दर्शन होंगे। यह मंदिर देश के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में से एक है। इसका संबंध भगवान कृष्‍ण और पांडवों से माना जाता है। कहा जाता है, कि महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर सम्राट बने तो भारतवर्ष को एक सूत्र में बांधने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वमेध यज्ञ करने की सलाह दी। इस यज्ञ के लिए युधिष्ठिर ने अपनी राजधानी इंद्रप्रस्‍थ (अब दिल्‍ली) के युमना किनारे शिवलिंग की स्थापना करने के साथ हवन कुंड बनाया। यहीं पर युधिष्ठिर ने देवादिदेव महादेव की पूजा कर अपने अश्वमेध यज्ञ की शुरुआत की और भगवान शिव की कृपा से यज्ञ को पूरा कर युधिष्ठिर चक्रवर्ती सम्राट बनें। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी आठवीं पत्नी यमुना से इसी मंदिर में आकर विवाह किया था।

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम नीली छतरीनीले छत वाले इस मंदिर को 5500 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर के नाम को लेकर अनोखी कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस मंदिर के छत पर पहले नीलम पत्थर जड़े हुए थे। इस पर जब चांद की दूधिया रोशनी पड़ती थी तो यह नीले रंग की आभा बहुत दूर तक चमकती थी। जिसकी वजह से इसे नीली छतरी के नाम से प्रसिद्धि मिली। कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने जब दिल्‍ली पर हमला बोला तो मंदिर के नीलम निकाल ले गए। जिसके बाद मंदिर के छत पर नीले रंगे के टाइल्‍स लगाए गए। मान्‍यता है कि इस मंदिर में भोले बाबा को 5 लड्डुओं का भोग लगाने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं।

महाशिवरात्रि पर होती है विशेष पूजा नीली छतरी मंदिर में वैसे तो रोजाना भोले बाबा को भंग का गोला और धतूरा और लड्डू चढ़ाया जाता है, लेकिन महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा होती है। मंदिर के महंत मनीष शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर हर साल चार प्रहर की विशेष पूजा होती है। जिसमें चार अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं से नीली छतरी वाले का अभिषेक होता है। पहले पहर में दूध से अभिषेक, दूसरे पहर में घी से, तीसरे पहर में शहद से और चौथे पहर में गन्ने के रस से भोलेनाथ का अभिषेक होगा। कल सुबह चार बजे से ही मंदिर के कपाट भक्‍तों के लिए खोल दिया जाएगा।

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