नो-कॉस्ट EMI क्या है? जानें कितना फायदा, कितना नुकसान
No Cost EMI: त्यौहारी सीजन में रिटेलर ग्राहकों के लिए आकर्षक ऑफर और छूट देते हैं। लोगों के पास अगर पैसा नहीं होता है तो वो नो-कॉस्ट EMI पर भी शॉपिंग कर लेते हैं। आइए जानते हैं आखिर यह है क्या। इससे कितना फायदा होता है और कितना नुकसान।
नो-कॉस्ट ईएमआई के फायदे और नुकसान (तस्वीर-Canva)
No Cost EMI: त्यौहारी सीजन शुरू होने वाला है और रिटेलर ग्राहकों के लिए आकर्षक ऑफर और छूट लेकर आ रहे हैं। शॉपिंग त्यौहारों का एक हिस्सा है और नो-कॉस्ट EMI सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है। यह भुगतान मेथड आपको खरीदारी की लागत को छोटी, अधिक किफायती किश्तों में विभाजित करने की अनुमति देती है। हालांकि किसी भी अन्य पुनर्भुगतान योजना की तरह नो-कॉस्ट EMI के बारे में कुछ मुख्य डिटेल हैं जिन्हें आपको इसे चुनने से पहले समझना चाहिए।
नो-कॉस्ट EMI क्या है?
नो-कॉस्ट EMI या शून्य-ब्याज EMI, एक पुनर्भुगतान सुविधा है जो आपकी बड़ी खरीदारी को 24 महीने तक की अवधि के लिए कई ब्याज-मुक्त किश्तों में विभाजित करती है। उदाहरण के लिए अगर आप 24,000 रुपए में एक फ्रिज खरीदना चाहते हैं लेकिन पूरा पेमेंट एक साथ नहीं करना चाहते हैं, तो आप 12 महीने की नो-कॉस्ट EMI ऑफर का विकल्प चुन सकते हैं, जो आपको बिना किसी ब्याज शुल्क के 2,000 रुपए की मासिक EMI पर फ्रिज खरीदने की अनुमति देगा।
नो-कॉस्ट EMI कैसे मदद करती है?
नो-कॉस्ट EMI उपभोक्ताओं को किसी प्रोडक्ट की कुल लागत को एक निश्चित अवधि में आसान मासिक किस्तों में विभाजित करके बड़ी खरीदारी करने की अनुमति देती है, बिना किसी अतिरिक्त ब्याज का पेमेंट किए। यह सेवा त्यौहारी सीजन के दौरान विशेष रूप से उपयोगी होती है, जब बहुत से लोग अपने घरों का रिनोवेट करना चाहते हैं या इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरण, फर्नीचर आदि जैसी उच्च-मूल्य वाली वस्तुओं में निवेश करना चाहते हैं। नो-कॉस्ट EMI ऑफर उपभोक्ताओं को अपने वित्त को बाधित किए बिना अपनी खरीदारी की बेहतर योजना बनाने की अनुमति देते हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के व्यापारी कई तरह के प्रोडक्ट्स पर नो-कॉस्ट EMI विकल्प देने के लिए अग्रणी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी करते हैं। Amazon, Flipkart और अन्य जैसे लोकप्रिय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अक्सर इन ऑफर को रोल आउट करते हैं, जिससे औसत खरीदार के लिए महंगे प्रोडक्ट अधिक सुलभ हो जाते हैं।
क्या नो-कॉस्ट EMI ब्याज मुक्त है?
जब आप नो-कॉस्ट EMI योजना चुनते हैं, तो किस्त पेमेंट पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाता है। हालांकि व्यापारी द्वारा ब्याज माफ नहीं किया जाता है, बल्कि छूट के रूप में पेश किया जाता है। ऋणदाता अभी भी सालाना ब्याज दर लागू करता है जिसे व्यापारी द्वारा कवर किया जाता है। इसलिए ब्याज न होने के बावजूद, ऐसे अन्य खर्च और शर्तें हैं जिनके बारे में आपको नो-कॉस्ट EMI लेनदेन का विकल्प चुनने से पहले पता होना चाहिए। कुछ मामलों में अगर आप अपनी खरीदारी के लिए एकमुश्त भुगतान करते हैं, तो व्यापारी छूट दे सकते हैं। जब आप नो-कॉस्ट EMI का विकल्प चुनते हैं, तो आप ऐसी छूट खो सकते हैं।
इसके अलावा जबकि व्यापारी छूट के रूप में ब्याज माफ कर सकता है, फिर भी इसमें एक प्रोसेसिंग शुल्क शामिल हो सकता है, जो आमतौर पर खरीद राशि का करीब 2-3% होता है। इन शुल्कों पर 18% का GST भी लागू होता है। उदाहरण के लिए अगर आप 20,000 रुपए की कीमत वाला टेलीविजन खरीदना चाहते हैं, तो व्यापारी अग्रिम भुगतान पर 10% की छूट दे सकता है, जिससे कीमत घटकर 18,000 रुपए हो जाएगी। हालांकि अगर आप नो-कॉस्ट EMI विकल्प चुनते हैं, तो आप इस छूट को छोड़ देंगे और किश्तों में पूरे 20,000 रुपये का भुगतान करेंगे, साथ ही प्रोसेसिंग फीस पर 18% GST भी देना होगा।
ध्यान रखने योग्य बातें
अगर आप अपने बजट को प्रभावित किए बिना अपने मनपसंद उत्पाद की अग्रिम लागत का मैनेज कर सकते हैं, तो नो-कॉस्ट EMI विकल्प का उपयोग करने से बचें। अग्रिम भुगतान अक्सर कई लाभों के साथ आते हैं जैसे अतिरिक्त छूट जो आपको अपनी खरीद पर अधिक बचत करने की अनुमति देती है। हालांकि अगर आप नो-कॉस्ट EMI का विकल्प चुनते हैं, तो आप इन अतिरिक्त छूटों को खो सकते हैं और संभवतः उत्पाद के लिए अधिक भुगतान करना पड़ सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको नो-कॉस्ट EMI से अधिकतम लाभ मिले, इसके सभी पहलुओं को पहले से समझ लें। जब आप अपने क्रेडिट कार्ड पर नो-कॉस्ट EMI विकल्प चुनते हैं, तो आपको डाउन पेमेंट करने, प्रोसेसिंग शुल्क या ब्याज शुल्क का भुगतान करने की जरुरत नहीं होगी। हालांकि बैंक या जारीकर्ता अभी भी ब्याज ले सकते हैं, लेकिन इसे आमतौर पर खरीदारी के समय अग्रिम छूट के रूप में पेश किया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नो-कॉस्ट EMI विकल्प आकर्षक तो है लेकिन यह केवल चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर ही उपलब्ध हो सकता है। कुछ मामलों में, ब्याज या छूट दी जा रही फीस को कवर करने के लिए उत्पाद की कीमत बढ़ाई जा सकती है। इसलिए, नो-कॉस्ट EMI चुनने से पहले, अपने दायित्वों को समझने के लिए नियमों और शर्तों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें। साथ ही, सुनिश्चित करें कि आपके पास EMI को मैनेज करने के लिए एक पुनर्भुगतान योजना है, क्योंकि भुगतान न करने पर जुर्माना लग सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, अनावश्यक लोन से बचने के लिए नो-कॉस्ट EMI लेने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करें।
(डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी ने लिखी है, जो सिर्फ जानकारी के लिए है, किसी भी तरह का निवेश करने से पहले एक्सपर्ट्स से संपर्क करें)
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें
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