Gautam Adani: संकट में दिखाएं साहस और बड़े सपने देखने की करें हिम्मत, गौतम अडानी ने बताई अपनी सफलता की कहानी
Gautam Adani: जय हिंद कॉलेज के कार्यक्रम में पहुंचे गौतम अडानी ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा को याद किया। उन्होंने बड़े सपने देखने की शक्ति के बारे में बात की और अपनी कुछ प्रमुख सीख को भी साझा किया। मुंबई को देश का सबसे अधिक व्यस्त शहर बताते हुए उन्होंने याद किया कि कैसे यह शहर ने उनके लिए बिजनेस ट्रेनिंग का मैदान था।
अडानी समूह के चेयरमैन- गौतम अडानी
Gautam Adani: अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने टीचर्स डे पर मुंबई के जय हिंद कॉलेज में मुख्य भाषण देते हुए अपनी कामयाबी की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मैंने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा है। आप जितना बड़ा दांव लगाएंगे, उतनी ही बड़ी सीमाएं टूटेंगी और जितनी बड़ी सीमाएं टूटेंगी, प्रतिस्पर्धा उतनी ही कम होगी।
1970 के दशक में जय हिंद कॉलेज में गौतम अडानी को एडमिशन नहीं मिल सका था। आज गौतम अडानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और उन्होंने 220 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया है।
बिजनेस ट्रेनिंग का मैदान था मुंबई
जय हिंद कॉलेज के कार्यक्रम में पहुंचे गौतम अडानी ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा को याद किया। उन्होंने बड़े सपने देखने की शक्ति के बारे में बात की और अपनी कुछ प्रमुख सीख भी साझा की। गौतम अडानी ने बताया कि 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और मुंबई आ गए। मुंबई को देश का सबसे अधिक व्यस्त शहर बताते हुए उन्होंने याद किया कि कैसे यह शहर ने उनके लिए बिजनेस ट्रेनिंग का मैदान था।
बड़े सपने देखने की हिम्मत करनी चाहिए
गौतम अडानी ने कहा कि ट्रेडिंग का सेक्टर एक बेहतरीन शिक्षक बनाता है। मैंने बहुत पहले ही सीख लिया था कि एक उद्यमी अपने सामने मौजूद विकल्पों का अधिक मूल्यांकन करके कभी भी स्थिर नहीं रह सकता। अगर कोई ऐसा शहर है जो जोखिम लेता है और अपने विकल्पों का कभी अधिक मूल्यांकन नहीं करता, तो वह मुंबई है। यह मुंबई ही है जिसने मुझे सिखाया कि बड़ा सोचने के लिए, आपको पहले अपनी सीमाओं से बड़े सपने देखने की हिम्मत करनी चाहिए।
संकट में दिखाएं साहस
गौतम अडानी ने साल 1991 में भारत के विदेशी मुद्रा संकट, तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के उठाए साहसिक आर्थिक सुधारों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इस बदलाव ने मुझे अमूल्य सबक सिखाया कि कैसे बदलते समय के साथ तालमेल बनाए रखना बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि कई बिजनेस जो डेवलप होने में विफल रहे, वे अप्रासंगिक हो गए। इस बीच, जिन लोगों ने अपनी सीमाओं को तोड़ने का साहस किया, उन्होंने अवसरों का लाभ उठाया और सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि हम खुद को सफलता के लिए तैयार कर रहे हैं। पीछे मुड़कर देखें तो हम भी उनमें से एक थे।
उन्होंने कहा कि हर संकट में पुनर्आविष्कार की संभावना होती है और ऐसे समय में हमारा साहस ही महानता का मार्ग निर्धारित करता है। 29 साल की उम्र में गौतम अडानी ने पॉलिमर, मेटल्स, टैक्सटाइल और कृषि उत्पादों के निर्यात और आयात के लिए एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस की स्थापना की थी। दो साल में ही यह भारत का सबसे बड़ा ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस बन गया। उन्होंने कहा कि यही वह समय था जब मुझे स्पीड और स्केल दोनों की संयुक्त वैल्यू समझ में आई।
आप जो सपना देखते हैं वो बनाते हैं
कैसे अपनी उद्यमशीलता की यात्रा के दौरान उन्होंने अवसरों के साथ-साथ सीमाओं से भी सीखा इस बारे में भी उन्होंने बताया। गौतम अडानी ने कहा कि भविष्य उन लोगों का है जो वर्तमान से आगे देखने का साहस करते हैं, जो पहचानते हैं कि आज की सीमाएं कल की शुरुआती बिंदु हैं। मुंद्रा पोर्ट के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह उनकी कर्मभूमि है, जिसने उनके विजन को जमीन को सच बना दिया है। इस तथ्य का एक शक्तिशाली प्रमाण यह है कि आप जो सपना देखते हैं, आप बनाते हैं और आप जो सोचते हैं, आप बन जाते हैं। मुंद्रा पोर्ट भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह बन गया है।
चुनौतियों पर काबू
जनवरी 2023 में शॉर्ट-सेलिंग हमले और संकट के बाद के घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस परीक्षा से सबसे गहरा सबक यह था कि वास्तविक सीमाओं को तोड़ना बाहरी चुनौतियों पर काबू पाने के बारे में नहीं है। यह मानसिक बाधाओं को तोड़ने के बारे में है। जब दुनिया कहती है कि आप ऊपर नहीं उठ सकते, तब लचीलेपन की असली परीक्षा शुरू होती है। लचीलापन गिरने से बचने के बारे में नहीं है। यह हर गिरावट के बाद मजबूत होने के बारे में है। यह असंभव को पार करने और दूसरी तरफ मजबूत होने के बारे में है।
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Rohit Ojha author
रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें
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