यूरोप ने पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही को मजबूत और लोकतंत्र को कमजोर किया, जयशंकर ने पश्चिम को सुनाई खरी-खरी

एस जयशंकर ने कहा, आपके अपने शब्दों में कहें तो वह विशाल व लोकतांत्रिक यूरोप, इस क्षेत्र में सैन्य तानाशाही के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है। पाकिस्तान में सैन्य शासन को इतना मजबूत और लोकतंत्र को इतना कमजोर किसी ने नहीं किया, जितना पश्चिम ने किया है।

S Jaishankar

एस जयशंकर ने सुनाई पश्चिम को खरी-खरी

West Supported Military Regime in Pakistan: पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही और कमजोर लोकतंत्र को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोप को आईना दिखाया है। जयशंकर ने कहा है कि पाकिस्तान में सैन्य शासन को इतना मजबूत और लोकतंत्र को इतना कमजोर किसी ने नहीं किया, जितना पश्चिम ने किया है। उन्होंने आतंकवाद को भी जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गरीबी की तरह विश्व के सामने एक बड़ी सामूहिक चुनौती बताया। डेनमार्क के अखबार ‘पोलिटिकेन’ को दिए साक्षात्कार में जयशंकर ने सैन्य तानाशाही के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए यूरोप की आलोचना की। जयशंकर ने सवाल किया, 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन करता रहा है। तब से लेकर अब तक आठ दशकों में हमने क्या देखा है?

पाकिस्तान में सैन्य तानाशाही पर यूरोप को सुनाया

उन्होंने कहा, आपके अपने शब्दों में कहें तो वह विशाल व लोकतांत्रिक यूरोप, इस क्षेत्र में सैन्य तानाशाही के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है। पाकिस्तान में सैन्य शासन को इतना मजबूत और लोकतंत्र को इतना कमजोर किसी ने नहीं किया, जितना पश्चिम ने किया है। विदेश मंत्री नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की यात्रा के तहत डेनमार्क के कोपेनहेगन में थे। जयशंकर ने कहा कि भारत दूसरे देशों की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं का समर्थन करता है।

जयशंकर ने कहा, लेकिन दुनिया के बारे में मेरा दृष्टिकोण और यूरोप को लेकर मेरा नजरिया मेरे अपने अनुभवों के आधार पर तय होता है। आप सीमाओं की अखंडता के बारे में बात करते हैं - तो क्यों न हम अपनी सीमाओं की अखंडता से बात की शुरुआत करें? यहीं से मेरी दुनिया शुरू होती है। लेकिन हमें हमेशा यही कहा गया है कि हमें इसका समाधान खुद ही करना होगा। जयशंकर से पूछा गया था कि जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ा, तब लोकतांत्रिक भारत बड़े पैमाने पर तेल खरीद के मामले में तानाशाही व्यवस्था वाले रूस को समर्थन क्यों दे रहा था।

रूस से तेल खरीद पर जयशंकर का जवाब

रूस से भारत के तेल खरीदने पर जयशंकर ने कहा कि यूरोप पश्चिम एशिया से कच्चा तेल खरीदकर भारत समेत सभी विकासशील देशों के लिए ऊर्जा की कीमतें बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, संपन्न यूरोप ने पश्चिम एशिया की ओर रुख किया क्योंकि उसे रूस से परेशानी थी। यूरोप ने तेल के लिए अधिक कीमत की पेशकश की। इसका नतीजा हुआ कि भारत समेत कई देश इन बढ़ी हुई कीमतों को वहन नहीं कर सके। प्रमुख तेल कंपनियों ने खरीद प्रस्तावों पर प्रतिक्रिया भी नहीं दी क्योंकि वे यूरोप को बेचने में बहुत व्यस्त थीं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, बाकी दुनिया को क्या करना चाहिए था? यह कि हम ऊर्जा के बिना ही काम चला लेंगे, क्योंकि यूरोपीय लोगों को इसकी हमसे ज्यादा जरूरत है।

आतंकवाद एक बड़ी वैश्विक चुनौती

जयशंकर ने आतंकवाद को भी एक बड़ी वैश्विक चुनौती बताया। उन्होंने कहा, आज की प्रमुख सामूहिक चुनौतियों में, मैं आतंकवाद को जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गरीबी और ग्लोबल साउथ में कोविड-19 महामारी के दुष्परिणामों के साथ शीर्ष पर रखूंगा। डेनमार्क के प्रसारक टीवी 2 को दिए एक अन्य साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव और सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए दोनों पक्षों की सेनाओं के बीच सीधे तौर पर सहमति बनी थी। विदेश मंत्री की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे की पृष्ठभूमि में आई है कि अमेरिका ने संघर्ष विराम कराने में भूमिका निभाई थी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। दुनिया (World News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited