सीनेट ने तुलसी गबार्ड के नाम पर लगाई मुहर, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पद संभालकर रचेंगी इतिहास
तुलसी गबार्ड पूर्व सैन्य कर्मी हैं और वह डेमोक्रेटिक पार्टी से कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की सदस्य रह चुकी हैं। सीनेट ने 48 के मुकाबले 52 मतों से उनकी नियुक्त पर मुहर लगाई।

तुलसी गबार्ड
Tulsi Gabbard: अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद पर तुलसी गबार्ड की नियुक्ति की बुधवार को पुष्टि कर दी। हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने पहले उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे, लेकिन बाद में उन्होंने गबार्ड का इस पद के लिए समर्थन कर दिया। देश की 18 विभिन्न खुफिया एजेंसियों की देखरेख और समन्वय के लिए गबार्ड एक अपरंपरागत चुनाव थीं।
पूर्व सैन्य कर्मी हैं तुलसी गबार्ड तुलसी गबार्ड पूर्व सैन्य कर्मी हैं और वह डेमोक्रेटिक पार्टी से कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की सदस्य रह चुकी हैं। सीनेट ने 48 के मुकाबले 52 मतों से उनकी नियुक्त पर मुहर लगाई। डेमोक्रटिक पार्टी के सदस्यों ने गबार्ड की नियुक्ति का कड़ा विरोध किया। हालांकि, सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के पास बहुमत है। गबार्ड अमेरिका का शीर्ष खुफिया पद संभालेंगी। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक का कार्यालय 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के दौरान सामने आई खुफिया विफलताओं से निपटने के लिए स्थापित किया गया था।
डोनाल्ड ट्रंप का फैसला
अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के तुरंत बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई टीम बनाना शुरू कर दिया था। ट्रंप 2.0 प्रशासन में कई चौंकाने वाले नाम सामने आए थे। इनमें से एक तुलसी गबार्ड भी हैं, जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) नियुक्त किया था। ट्रंप प्रशासन में इस अहम जिम्मेदारी को संभालने वाली वह पहली हिंदू महिला हैं।
कौन हैं तुलसी गबार्ड
तुलसी गबार्ड 2013 से 2021 तक डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य के रूप में काम कर चुकी हैं। 2020 में उन्होंने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पेश की थी। हालांकि, बाइडन की जीत के बाद उन्होंने उनका समर्थन किया। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और बाइडेन की कट्टर आलोचक बन गईं। 2022 में ही उन्होंने इंडिपेंडेंट चुनाव भी लड़ा था। वह ट्रंप की संभावित उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में भी देखी जा रही थीं।
भारत से क्या रिश्ता?
तुलसी गबार्ड को अक्सर उनके नाम की वजह से भारतीय समझ लिया जाता है, लेकिन यह सही नहीं है। उनका भारत से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, तुलसी गबार्ड की मां ने हिंदू धर्म अपना लिया था और अपने सभी बच्चों के नाम हिंदू रखे थे। तुलसी गबार्ड भी खुद को हिंदू मानती हैं और वह पहली हिंदू अमेरिकी कांग्रेसवुमन थीं। वह अमेरिकी समोआ मूल की हैं, लेकिन तुलसी ने भगवत गीता पर हाथ रखकर पद की शपथ ली थी।
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