Importance of Jangam Jogi: जंगम जोगियों से जुड़ी क्या मान्यता है, आखिर क्या है इनका भगवान शिव और महाकुंभ से संबंध, जानिए यहां
Importance of Jangam Jogi (जंगम जोगियों का महत्व): 13 जनवरी से चल रहे प्रयागराज महा कुंभ में बड़ी संख्या में भक्तों का काफिला स्नान करने के लिए आ रहा है। इस भव्य उत्सव में संत, महात्मा और नागा साधुओं का भी विशेष महत्व है क्योंकि इन पर दैवी कृपा होती है। लेकिन इन्हीं साधु-संतों में एक नाम जंगम जोगियों का भी आता है। आज हम आपको जंगम जोगियों से संबंधित पौराणिक मान्यता के बारे में बताएंगे।

Who are Jangam Jogis, Jangam Jogi Relation With Lord Shiva
Importance of Jangam Jogi (जंगम जोगियों का महत्व): ज्योतिष गणनाओं के अनुसार 144 वर्षों के उपरांत लगा प्रयागराज का महा कुंभ मेला 2025, विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है जहां पर देश-विदेश से अनगिनत भक्त पवित्र संगम में स्नान-ध्यान करने और आत्मिक शांति पाने के लिए आये हुए हैं। साधु-संतों और महात्माओं के सानिध्य में ये महोत्सव और भी खास हो जाता है। कुंभ की कथा समुद्र मंथन के उस संदर्भ से आती है जब अमृत की चार बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिर गई थीं। महा कुंभ से जुड़ी हुई ऐसी ही धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं हैं जो आज तक सजीव रूप से दिखती हैं। एक ऐसी मान्यता और महत्ता कुंभ में आए हुए जंगम जोगियों से भी जुड़ी है। आखिर कौन होते हैं जंगम जोगी?, क्या संबंध है इनका भगवान शिव और कुंभ के इस धार्मिक मेले से? चलिए जानते हैं जंगम जोगियों से जुड़ी हुई कथा और महत्ता को।
Relation of Jangam Jogi with Lord Shiva (भगवान शिव और जंगम जोगियों का संबंध)
इनके जन्म की कथा कुछ इस प्रकार से हैं कि, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के समय जब भगवान शिव ने विवाह के विधानों को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को दक्षिणा देने की कोशिश की तो तब उन्होंने दक्षिणा लेने के लिए मना करा दिया, जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी जांघों से कुछ जोगियों को उत्पन्न किया। भगवान शिव की जांघों से पैदा होने के कारण इनका नाम जंगम जोगी पड़ गया। भगवान शिव ने जंगम जोगियों को दक्षिणा दी और इन्हीं के द्वारा विवाह की सभी रस्मों को पूर्ण करवाया। मान्यताओं के अनुसार जंगम जोगी नहीं होते तो भगवान शिव का विवाह संपन्न नहीं हुआ रहता।
Importance of Jangam Jogi (जंगम जोगियों का महत्व)
महा कुंभ में जंगम जोगियों के आने से संगम का वातावरण और भी दिव्य बन जाता है क्योंकि ये शिव भक्ति से जुड़े भजन गाकर यात्रियों के अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाते हैं अन्य साधुओं से भिक्षा मांगते हैं। कुंभ में 10 से 12 जोगियों का दल मेले में घूम-घूमकर जंगम जोगियों की परंपराओं को लोगों तक पहुंचाता है। ऐसा कहा जाता है कि जोगियों की परंपरा में हर परिवार से एक सदस्य जोगी बनता है, और मोह का त्याग कर देता है। इनकी वेशभूषा में दशनामी पगड़ी, गेरुआ लुंगी और कुर्ता शामिल होता है और तांबे के गुलदान में मोर पंखों का गुच्छा होता है। इनके हाथ में एक विशेष यंत्र भी होता है, जिसे 'टल्ली' कहा जाता है।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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