Sharad Purnima Shlok In Sanskrit And Hindi: शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व पर चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है और उसकी किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और चंद्रमा की पूजा की जाती है और रात में खीर बनाकर चांदनी में रखने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा के श्लोक भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में अमृत की वर्षा होती है, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख प्रदान करती है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला से भी जुड़ा है, इस दिन उन्होंने गोपियों के साथ रास रचाया था। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा करने से धन-धान्य और सुख-शांति मिलती है। इसके साथ ही कुछ श्लोकों का पाठ से सभी प्रकार की समस्याओं का अंत हो जाता है। आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन किन श्लोकों का पाठ करना चाहिए।
ॐ सौम्याय नमस्तुभ्यं चन्द्राय नमो नमः।
अमृतरश्मये तुभ्यं पूर्णिमायै नमो नमः॥
अर्थ: इस श्लोक में चंद्रदेव की स्तुति की गई है। इसमें कहा गया है कि हे सौम्य (शांत) स्वरूप चंद्रदेव, आपको नमस्कार है। आपकी अमृतमयी किरणें और पूर्णिमा का स्वरूप हमें सुख-शांति प्रदान करे। इस श्लोक का पाठ शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा को अर्घ्य देते समय करें। यह मन को शांति और स्वास्थ्य लाभ देता है।
श्रीकृष्णाय नमस्तुभ्यं रासेशाय नमो नमः।
गोपिकानन्ददाय तुभ्यं शरत्पूर्णिमाय नमः॥
अर्थ: यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जो रासलीला के स्वामी हैं। इसमें कहा गया है कि हे श्रीकृष्ण, गोपियों को आनंद देने वाले और शरद पूर्णिमा के स्वामी, आपको बार-बार नमस्कार है। इस श्लोक का पाठ शरद पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण की पूजा के दौरान करें। यह भक्ति और प्रेम को बढ़ाता है।
ॐ श्रीं ह्रीं लक्ष्मीवासिन्यै नमः।
पूर्णचन्द्रप्रभायै च कोजागर्यै नमो नमः॥
अर्थ: यह श्लोक माता लक्ष्मी को समर्पित है, जो शरद पूर्णिमा की रात में विशेष रूप से पूजनीय हैं। इसमें कहा गया है कि हे धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी, जो पूर्ण चंद्र की प्रभा में विराजमान हैं, आपको कोजागरी पूर्णिमा पर नमस्कार है। इस श्लोक का पाठ रात में माता लक्ष्मी की पूजा और धन-धान्य की कामना के लिए करें।
शरद पूर्णिमा पर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर में पूजा स्थल सजाएं और भगवान श्रीकृष्ण, चंद्रदेव और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं, फूल, चंदन, और नैवेद्य (खीर) अर्पित करें। रात में खीर बनाकर चांदनी में रखें, क्योंकि मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर को अमृतमयी बनाती हैं। इसके बाद श्लोकों का पाठ करें। चंद्रमा को जल और दूध मिश्रित अर्घ्य दें। अगले दिन खीर का प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन दान-पुण्य, विशेष रूप से अन्न और दूध का दान, पुण्यकारी माना जाता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Times Now Navbharat इसकी पुष्टि नहीं करता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। अध्यात्म (Spirituality News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।