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Premanad Maharaj Health Update: 'मेरी किडनी हर जन्म में फेल हो जाए', जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्यों कही ये बात

Premanad Maharaj Health Update: वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा बीते कुछ दिन बंद रही थी। वहीं, 12 अक्टूबर तड़के 3 बजे महाराज ने दोबारा पद यात्रा की तो वहां मौजूद भक्तों की आंखें भर आईं। एक लंबे अंतराल के बाद महाराज जी को देखकर भक्तों का उत्साह देखने लायक ही बना। प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने आश्रम में आए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री से महाराज जी ने कहा कि मेरी हर जन्म में किडनी फेल हो जाएं! आगे उन्होंने इसका कारण भी बताया। आइए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था?

premanand maharaj

प्रेमानंद महाराज (pic Credit- pexels)

Premanad Maharaj Health Update: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी की नियमित पदयात्रा कुछ समय पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी। वहीं, महाराज जी ने बीते रविवार को यात्रा दोबारा शुरू की तो भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सुबह करीब 3 बजे श्रीराधे हित केलिकुंज आश्रम से बाहर निकलकर जब उन्होंने परिक्रमा मार्ग की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान काफी संख्या में उनको दर्शन को उमड़ पड़े। उनको देखकर कई भक्तों के आंसू भी छलक गए।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने लिया आशीर्वाद

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी स्वामी प्रेमानंद महाराज का दर्शन करने केलिकुंज स्थित उनके आश्रम पर आए। इस दौरान उनकी प्रेमानंद महाराज जी से बातचीत हुई। इस दौरान प्रेमानंद महाराज से कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे बीमार नहीं हैं, ये उनकी लीला है। इस पर प्रेमानंद महाराज ठहाके लगाकर हंसने लगे।

हर जन्म में फेल हो जाएं किडनी

एक वार्तालाप के दौरान प्रेमानंद महाराज ने कहा कि उनकी हर जन्म में किडनी फेल हों और वे प्रिया-प्रितम की ठसक में रहें। उन्होंने कहा कि उन्हें किडनी फेल होने से जो मिला, वो साधना से नहीं मिला। भगवत बल होता है, जब भगवान का चिंतन किया जाता है तो कोई प्रतिकूलता नहीं रहती है। सारी प्रतिकूलता अनुकूलता में बदल जाती है।

हमें किडनी ने जितनी अनुकूलता दी है, उतनी किसी साधना से नहीं मिल है। जब किडनी फेल हुई तब शरणागति का बोध हुआ। वास्तविक हाथ उठ गए कि तू अब किसी योग्य नहीं है अब मरा। उन्होंने कहा कि लाडली अब केवल बल आप हो। बस बात वहीं से बन गई। जब साधना का अहंकार खत्म हो गया, तब बात बनी। जब शरीर साधना करने लायक नहीं रहा, तब हम इससे पास हो गए। यहीं हमारे जन्म-जन्म की बिगड़ी बन गई।

सब श्रीजी की है कृपा

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारा चित्त प्रिया प्रितम चुरा लें, इससे बढ़कर और कोई लाभ नहीं है। वे तभी चुराएं, जब हम किसी योग्य न रहें। जब अंदर से आया कि अब तो किसी योग्य ही नहीं रहे तो अब बात कैसे बनेगी, तब लाडली जी ने कहा मैं बनाती हूं बात। उन्होंने कहा कि स्थिति काफी गंभीर है, लेकिन दिनचर्या रात्रि 1 बजे से शुरू होती है और 9 बजे विश्राम होता है। अस्वस्थ शरीर से भी कठिन दिनचर्या श्रीजी चला रही हैं।

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Mohit Tiwari
Mohit Tiwari Author

मोहित तिवारी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रतिष्ठित न्यूजपेपर में फील्ड रिपोर्टिंग से की थी। मोहित ... और देखें

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