Significance of Garuda Ghanti: मंदिर हो या घर या फिर कोई भी धार्मिक अनुष्ठान सभी पूजा- पाठ के दौरान घंटी जरूर बजाई जाती है। घंटी बजाने की परंपरा काफी पुरानी है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि पूजा के दौरान घंटी बजाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और पूजा सफल मानी जाती है। वहीं वास्तु के अनुसार घंटी से निकलने वाली ध्वनि को महत्वपूर्ण बताया गया है और ऐसा कहा गया है कि इसकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मक आती है। लेकिन सभी घंटियों में गरुड़ घंटी का विशेष महत्व होता है। इसलिए पूजा-पाठ में गरुड़ घंटी का इस्तेमाल करना चाहिए। जानते हैं गरुड़ घंटी के महत्व और इससे जुड़े फायदे के बारे में...
गरुड़ घंटी के फायदे
गरुड़ घंटी बजाने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की रचना के समय जैसी ध्वनि उत्पन्न हुई थी ठीक वैसी ही ध्वनि गरुड़ घंटी से निकलती है। गरुड़ घंटी का इस्तेमाल करने से वास्तु दोष दूर होता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि पूजा-पाठ में प्रतिदिन गरुड़ घंटी बजाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जिस घर में प्रतिदिन गरुड़ घंटी बजती है वहांधन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी वास करती है और धन संबंधी जुड़ी परेशनियां दूर होती है।यही कारण है कि हिंदू धर्म में सभी घंटियों में गरुड़ घंटी का विशेष महत्व होता है।
कैसी होती है गरुड़ घंटी- मार्केट में कई तरह की घंटियां मिलती है। वहीं पूजा के चार प्रकार की घंटियों का उल्लेख किया है। गरुड़ घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा (जोकि लगभग 4-5 फीट लंबा होता है)। इनमें गरुड़ घंटी वह होती है, जिसे हाथ से बजाया जा सकता है और यह छोटी होती है। वैसे तो आप किसी भी छोटी घंटी को पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन गरुड़ चिह्न युक्त घंटी को अच्छा माना जाता है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)