चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग: यह इतना पेचीदा क्यों है? विस्तार से समझें
Chandrayaan 3 Soft Landing On Moon: चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर होने जा रहा है। चंद्रयान 2 की असफलता को देखते हुए इसरो फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। इसकी लैंडिग काफी पेचीदा है। यहां विस्तार से समझें।
चंद्रयान 3 की लैंडिंग में हैं कई मुश्किलें
Chandrayaan 3 Soft Landing On Moon: चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर लैंडिंग टाइम करीब आता जा रहा है। इसरो ने कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि लैंडर माड्यूल प्रस्तावित सॉफ्ट लैंडिंग से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा। गौर हो कि चार साल पहले चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था इसलिए इस इसरो फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है। इसलिए चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा की अपनी यात्रा के तहत अब तक कक्षा से संबंधित सभी बाधाओं को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 मिशन के जरिये अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा। इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, टैक्नोलॉजी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है जो अंतरिक्ष अन्वेषण में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है। चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्वी से करीब 3,84,400 किलोमीटर दूर है और अंतरिक्ष यान द्वारा सफर किए गए रास्ते के आधार पर यह दूरी बहुत अधिक हो सकती है। इस लंबी यात्रा में असफलता कहीं भी हो सकती है।
चंद्रयान 3 की लैंडिंग में आ सकती हें क्या-क्या दिक्कतें
चंद्रमा पर जीपीएस नहीं होता। अंतरिक्ष यान किसी विशेष स्थान पर सटीक रूप से उतरने के लिए उपग्रहों के नेटवर्क पर भरोसा नहीं कर सकता क्योंकि चंद्रमा पर इसका अस्तित्व ही नहीं है। इसका मतलब यह है कि ऑनबोर्ड कंप्यूटरों को चंद्रमा पर सटीक रूप से उतरने के लिए त्वरित गणना और निर्णय लेने होंगे। नेचर जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह विशेष रूप से तब जटिल हो जाता है जब कोई अंतरिक्ष यान महत्वपूर्ण अंतिम कुछ किलोमीटर के भीतर पहुंच जाता है। उस समय बोर्ड पर मौजूद कंप्यूटरों को अंतिम समय की समस्याओं पर स्वचालित रूप से त्वरित प्रतिक्रिया देनी होगी। उदाहरण के लिए प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा उठाई गई बड़ी मात्रा में धूल से सेंसर भ्रमित हो सकते हैं। यह इस तथ्य से और भी कठिन हो जाता है कि चंद्रमा की सतह असमान है और गड्ढों तथा पत्थरों से भरी हुई है। किसी पर भी लैंडिंग मिशन के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।
चंद्रयान-3 के मामले में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किमी की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष यान को होरिजेंटल से वर्टिकल दिशा में स्थानांतरित करने की ट्रिक हमें खेलनी होगी। सोमनाथ ने समझाया कि लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में स्पीड करीब 1.68 किमी प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह पर होरिजेंटल है। चंद्रयान -3 यहां करीब 90 डिग्री झुका हुआ होगा। इसे वर्टिकल होना है। इसलिए यह पूरा होरिजेंटल से वर्टिकल में बदलने की प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है। हमने बहुत सारे सिमुलेशन किए हैं। यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान -2) समस्या हुई थी।
चंद्रयान-3 मिशन जिसे 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान प्रोजेक्ट का दूसरा प्रयास है। 4 साल पहले भी इसरो ने ऐसी ही कोशिश की थी लेकिन योजना के मुताबिक चीजें नहीं हो पाईं। इसरो का चंद्रयान-2 मिशन अपने चंद्र चरण में विफल हो रहा है क्योंकि इसका लैंडर 'विक्रम' 7 सितंबर, 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में क्रैश कर गया।
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