लखनऊ : हाथरस केस के पीड़ित परिजन सोमवार को लखनऊ में कोर्ट के समझ पेश हुए। सुनवाई के दौरान पीड़ित परिजनों ने इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश के बाहर करने और मामले में निर्णय आने तक उन्हें सुरक्षा दिए जाने की मांग की है। कोर्ट ने इस केस में राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अब इस मामले की सुनवाई दो नवंबर को होगी। सोमवार की सुनवाई पूरी होने के बाद पीड़ित परिवार सोमवार देर रात हाथरस लौट आया।
हाई कोर्ट ने घटना का संज्ञान लिया है
बता दें कि हाथरस घटना का संज्ञान हाई कोर्ट ने खुद लिया है। पीड़ित इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि लड़की का अंतिम संस्कार करने के लिए प्रशासन की तरफ से उनकी अनुमति नहीं ली गई। जस्टिस पंकज मित्तल एवं जस्टिस रंजन रॉय की पीठ के पीड़ित पक्ष की गवाही हुई। गवाई के दौरान राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। हाथरस जिला प्रशासन ने 29 सितंबर की रात पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
जिलाधिकारी ने ली अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी
कोर्ट के समक्ष पेश हाथरस के जिलाधिकारी ने लड़की के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कोर्ट को बताया कि लड़की का अंतिम संस्कार करने के लिए उन पर सरकार की तरफ से कोई दबाव नहीं था। रात में अंतिम संस्कार का फैसला कानून एवं व्यवस्था को ध्यान में रखकर लिया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि अंतिम संस्कार न होने से शव खराब हो रहा था।
लखनऊ बेंच में करीब दो घंटे तक चली सुनवाई
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में इस मामले की सुनवाई करीब दो घंटे तक चली। सुनवाई पूरी करने के बाद बेंच ने कोई आदेश पारित नहीं किया। पीठ ने कहा कि वह अपना फैसला लिखेगी लेकिन कोर्ट की वेबसाइट पर देर रात तक कोई फैसला अपलोड नहीं था। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर तय की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ित पक्ष से पूछा कि क्या उनके पास कोई वकील है। इस पर परिवार ने सीमा कुशवाहा की तरफ इशारा किया। कुशवाहा निर्भया मामले में पीड़ित परिवार का वकील रह चुकी हैं।
केस दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग
कुशवाहा ने कोर्ट से मामले की जांच सीबीआई को और सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने की अपील की। इस पर अपर एडवोकेट जनरल वीके साही ने कोर्ट को सूचित किया कि यह जांच पहले ही सीबीआई के हवाले कर दी गई है।
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