नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में शनिवार (16 जनवरी) को भारत में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई। देशभर में 3006 केंद्रों पर फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके लगाए गए। आज लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई है। इसकी दूसरी डोज भी लगाई जानी है, जिसके बाद ही इस संक्रामक रोग के खिलाफ शरीर में एंडीबॉडी बनना शुरू होगा। दोनों डोज के बीच एक महीने का अंतराल रखा जाएगा। लोगों को वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क लगाने और संक्रमण से बचाव सहित अन्य निर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है।
टीकाकरण के इस बड़े अभियान के पहले दिन तीन लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दिए जाने का लक्ष्य तय किया गया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में इन टीकों को 'संजीवनी' करार दिया और एक बार फिर लोगों से अपील की कि वे सुनी-सुनाई बातों पर ध्यान न दें, बल्कि विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों पर भरोसा करें। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हर्षवर्धन ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक दिन है। यह दुनिया में कोरोना वायरस टीकाकरण का सबसे बड़ा अभियान है।'
कोविड-19 के खिलाफ जंग में चिकित्सकों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षा कर्मियों और पत्रकारों समेत मोर्चे पर सबसे आगे रहे लोगों का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में ये टीके 'संजीवनी' की तरह हैं। इससे पहले टीकाकरण की मदद से पोलियो, चेचक जैसी बीमारियों के खिलाफ जंग जीती जा चुकी है और अब कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भी लड़ाई में हम निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। टीकों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच उन्होंने इन्हें पूरी तरह सुरक्षित बताया।
कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर भारत ने जो कदम उठाए हैं, उसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित कई वैश्विक एजेंसियां भारत की तारीफ कर चुकी हैं। इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार को टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए कही। पीएम मोदी ने कहा, 'भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा।'
भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में हैं, जिन्होंने कोविड-19 के मामले सामने आने के बाद जिसने अपने हवाईअड्डों पर यात्रियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था सबसे पहले शुरू की। कोविड-19 के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन वर्कर्स की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में जब निराशा का वातावरण था, चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों ने देशवासियों की जान बचाने के लिए अपने प्राण संकट में डाल दिए।
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