नई दिल्ली: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मालिकाना हक का मामला कोर्ट पहुंच गया है। इस याचिका में मस्जिद को हटाने और सारी जमीन श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई थी। मथुरा की जिला अदालत ने श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि न तो सरकार और न ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) की इसमें कोई भूमिका है।
'न्यूज 18 इंडिया' को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, 'इसमें हमारी सरकार की कोई भूमिका नहीं है और भाजपा की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हो सकती है। कुछ संगठनों ने अपने दम पर अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हम कहीं भी पक्षकार नहीं हैं, इसलिए मेरे लिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।' जब इस मसले को राम जन्मभूमि से जोड़ते हुए सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि हमारा एजेंडा था और उसे लेकर हमने सालों तक आंदोलन किया था।
कृष्ण जन्मभूमि मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर 2020 को होगी। याचिका में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 1968 में हुए समझौते को रद्द कर मस्जिद को हटाने तथा सारी जमीन श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई थी। 30 सितंबर को सुनवाई के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने ये कहकर दावा खारिज कर दिया था कि भक्तों को दावा दायर करने का अधिकार नहीं है।
इससे पहले मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन के स्वामित्व और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री सहित छह अन्य की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 30 सितंबर को याचिका को खारिज कर दिया था।
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