एंटीबॉडीज बनाने वाले वैक्सीन को विकसित करने का दावा, स्टडी में भारतीय मूल का वैज्ञानिक शामिल

हेल्थ
भाषा
Updated Jul 21, 2020 | 23:56 IST

Coronavaccine: वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वैक्सीन का विकास करने का दावा किया है जो एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं। खास बात यह है कि इस अध्ययन में भारतीय मूल का वैज्ञानिक भी शामिल है।

एंटीबॉडीज बनाने वाले वैक्सीन को विकसित करने का दावा, स्टडी में भारतीय मूल का वैज्ञानिक शामिल
एंटीबॉडीज विकसित करने वाले टीके का दावा (प्रतीकात्मक तस्वीर) 
मुख्य बातें
  • एंटीबाडीज बनाने वाले टीके का दावा
  • स्टडी में भारतीय मूल का शोधकर्ता भी शामिल
  • शोध में नैनो पार्टिकल्स के इस्तेमाल पर खास जोर

वाशिंगटन। एक अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कोविड-19 टीका विकसित किया है जिसमें वे एंटीबॉडीज उत्पन्न करते हैं जो चूहों और स्तनपायी प्रा‍णियों में एक ही टीके से कोरोना वायरस को ‘‘पूरी तरह से बेअसर’’ कर देते हैं।यह अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल हैं।

इंजेक्शन लगाने के दो हफ्ते बाद असर
अमेरिका स्थित बायोटेक कंपनी पीएआई लाइफ साइंसेज के अमित खंडार सहित शोधकर्ताओं ने बताया कि मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाने के दो सप्ताह के भीतर टीके का प्रभाव शुरू होता है।‘साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ‘‘रिप्लिकेटिंग आरएनए वैक्सीन’’ का प्रभाव चूहों में कोरोना वायरस को बेअसर करने में दिखाई दिया।



‘लिपिड इनऑर्गेनिक नैनोपार्टिकल’ का प्रयोग
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रकार का टीका प्रोटीन की अधिक मात्रा को दर्शाता है, और वायरस-संवेदी तनाव प्रतिक्रिया को भी सक्रिय करता है जो अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है।उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थित जैव प्रौद्योगिकी कंपनी एचडीटी बायो कार्पोरेशन द्वारा विकसित ‘लिपिड इनऑर्गेनिक नैनोपार्टिकल’ (एलआईओएन) रासायनिक प्रणाली का उपयोग करके आरएनए वैक्सीन को कोशिकाओं में पहुंचाया जाता है।

प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में इजाफा
वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनोपार्टिकल, टीके की वांछित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है और इसकी स्थिरता को भी बनाये रखता है।उन्होंने कहा कि टीका कमरे के तापमान पर कम से कम एक सप्ताह तक स्थिर रहता है।शोधकर्ताओं ने प्रेस को दिये एक बयान में कहा, ‘‘इसके घटक इसे बड़ी मात्रा में तेजी से निर्मित करने की अनुमति देंगे और यह मानव परीक्षणों में सुरक्षित और प्रभावी साबित होना चाहिए।’’वैज्ञानिकों ने कहा कि वे वर्तमान में लोगों में वैक्सीन के चरण एक परीक्षण के वास्ते आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

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