आसिम मुनीर को US बुलाकर एक तीर से कई निशाना साधना चाहते हैं ट्रंप, दौरे पर भारत की होगी करीबी नजर
Asim Munir US Visit: मुनीर की इस यात्रा के दौरान अमेरिका पाकिस्तान को चीन से दूरी बनाने के लिए कहा सकता है। पाकिस्तान लगातार चीन के करीब जा रहा है। चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता काफी ज्यादा हो गई है। चीन ने पाकिस्तान को भारी भरकम कर्ज दिया है। सीपेक में भारी मात्रा में निवेश किया है। इस सीपेक के जरिए चीन अरब सागर तक पहुंचेगा।

गुरुवार को अमेरिका पहुंचेंगे आसिम मुनीर।
Asim Munir US Visit: पाकिस्तान के सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर 12 जून को अमेरिका पहुंचेंगे। मुनीर को अमेरिकी सेना के 250वीं वर्षगांठ पर होने वाले समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। खास बात यह है कि यह समारोह 14 जून को होना है और इसी दिन ट्रंप का 79वां जन्मदिन भी है। मुनीर की इस यात्रा के बारे में रिपोर्टों में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुनीर के साथ अमेरिकी अधिकारियों की कई मुद्दों पर बातचीत होगी। इसमें भारत के खिलाफ काम कर रहे आतंकी समूहों पर नकेल कसने के लिए पाकिस्तानी सेना प्रमुख पर दबाव बनाना भी शामिल है।
मुनीर की यात्रा का विरोध करेगी इमरान की पार्टी
अमेरिका से मिले इस निमंत्रण पर पाकिस्तान का एक बड़ा तबका खुशी का इजहार कर रहा है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो मुनीर को 'अपराधी' बताते हुए उनकी इस अमेरिकी यात्रा का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) मुनीर की अमेरिका यात्रा के विरोध की तैयारी कर रही है। हालांकि, एक्सपर्ट मुनीर की इस अमेरिकी यात्रा के पीछे कई वजहें मान रहे हैं और सभी वजहें बहुत ठोस हैं। मुनीर की यह अमेरिकी यात्रा 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि में हो रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले इस भीषण संघर्ष का दक्षिण एशिया और दुनिया के जियोपॉलिटिक्स पर गहरा असर पड़ने वाला है।
पाक फौज में 80 फीसद चीनी हथियार
एक्सपर्ट का मानना है कि मुनीर की इस यात्रा के दौरान अमेरिका पाकिस्तान को चीन से दूरी बनाने के लिए कहा सकता है। पाकिस्तान लगातार चीन के करीब जा रहा है। चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता काफी ज्यादा हो गई है। चीन ने पाकिस्तान को भारी भरकम कर्ज दिया है। सीपेक में भारी मात्रा में निवेश किया है। इस सीपेक के जरिए चीन अरब सागर तक पहुंचेगा। पाकिस्तानी सेना में चीनी हथियारों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत के करीब हो गई है। यही नहीं, कुछ रिपोर्टें ऐसे भी आई हैं जिसमें यह कहा गया है कि चीन, बलोचिस्तान के लोगों से सीधे बातचीत करना चाहता है। इससे अमेरिका के कान खड़े हो गए हैं। बलोचिस्तान में प्रचुर मात्रा में खनिज तत्व हैं जिन पर चीन और अमेरिका दोनों की नजर है। पाकिस्तान में चीन के बढ़ते फुटप्रिंट्स को लेकर अमेरिका परेशान है। वह नहीं चाहता कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के गिरफ्त में आ जाए।
अमेरिका की जरूरत बन गया है पाकिस्तान
अफगानिस्तान से अमेरिका के निकल जाने के बाद पाकिस्तान, अमेरिका की जरूरत बन गया है। आतंकवाद विरोधी अपने मिशन और अभियान चलाने के लिए अमेरिका को यदि एयरबेस या सैन्य ठिकाने की यदि जरूरत होगी तो यह काम पाकिस्तान ही कर सकता है क्योंकि आतंक विरोधी अभियानों में पाकिस्तान पहले भी अमेरिका की मदद कर चुका है। वह उसका सहयोगी रहा है। ऐसे में अमेरिका नहीं चाहेगा कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान जैसा मुल्क उसके हाथ से निकले। दूसरा, बलोचिस्तान के खनिज तत्वों पर भी ट्रंप की नजर है। यहां के खनिज तत्वों के दोहन को लेकर अमेरिका, पाकिस्तान के साथ कोई डील करने का प्रस्ताव दे सकता है।
भारत पर दबाव बनाने की कोशिश
ट्रंप अपनी बात मनवाने के लिए मुनीर पर दबाव डाल सकते हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। उसे कर्ज और पैसों की जरूरत है। अमेरिका या तो खुद या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के जरिए पाकिस्तान को आर्थिक पैकेज जारी करा सकता है। दूसरा, मुनीर को अपने यहां बुलाकर अमेरिका, भारत को भी संदेश देना चाहता है। अमेरिका यह संकेत देना चाहता है कि भारत, रूस से ज्यादा अपनी करीबी मत बढ़ाए। अगर वह रूस के ज्यादा करीब जाएगा तो वह पाकिस्तान का समर्थन और मदद देने के लिए आगे आएगा। इसलिए मुनीर की इस अमेरिकी यात्रा में कई गूढ़ संदेश और संकेत छिपे हैं। जहां तक भारत की बात है तो वह किसी तरह के दबाव में नहीं आएगा। वह अपने सभी फैसले राष्ट्रीय हित को देखते हुए लेने लगा है। बहरहाल, मुनीर की इस यात्रा पर भारत की करीबी नजर बनी रहेगी।
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आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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