रूस के Mission Moon पर संकट के बादल! चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले लूना- 25 को करना पड़ा इमरजेंसी का सामना
Chandrayaan 3 and Luna 25: चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले की कक्षा में लूना-25 को स्थानांतरिक करने के लिए थ्रस्टर चलाया गया था। हालांकि, इसी दौरान कोई तकनीकी खराबी आई, जिसने इसके थ्रस्टर को ऑन करने की अनुमति नहीं दी। वैज्ञानिक फिलहाल इस समस्या का हल नहीं ढूंढ पाए हैं।
रूस के चंद्र मिशन लूना-25 में आई तकनीकी समस्या
Chandrayaan 3 and Luna 25: भारत का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) और रूस का चंद्र मिशन लूना-25 (Luna-25) इन दिनों सुर्खियों में है। दोनों चंद्र मिशनों के बीच चांद पर उतरने की होड़ लगी हुई है। अभी तक खबर थी कि रूस का लूना-25, भारत के चंद्रयान-3 से पहले सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। हालांकि, अब यह सॉफ्ट लैंडिंग सवालों के घेरे में है।
दरअसल, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos) ने बताया है कि लूना-25 को चंद्रमा की कक्षा में इमरजेंसी का सामना करना पड़ रहा है। ऑर्बिट बदलते वक्त उसमें तकनीकी खराबी आई है। वैज्ञानिकों की टीम फिलहाल तकनीकी खराबी को दूर नहीं कर पाई है और समस्या का लगातार विश्लेषण किया जा रहा है।
ऑर्बिट बदलते वक्त आई खराबी
रूसी स्पेस एजेंसी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले की कक्षा में लूना-25 को स्थानांतरिक करने के लिए थ्रस्टर चलाया गया था। हालांकि, इसी दौरान कोई तकनीकी खराबी आई, जिसने इसके थ्रस्टर को ऑन करने की अनुमति नहीं दी। बता दें, ऑर्बिट बदलने की योजना के तहत लूना-25 में एक ऑनबोर्ड कम्प्यूटर लगा हुआ है, जो ऑटोमैटिकली अपना रास्ता सेलेकट करता है। इसी ऑनबोर्ड कम्प्यूटर पर इमरजेंसी हुई।
चंद्रयान-3 से पहले होनी है लैंडिंग
रूस अपने चंद्र मिशन लूना-25 को चंद्रयान से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने वाला है। तय तारीख के मुताबिक, उम्मीद जताई जा रही है कि लूना-25 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर पहुंच जाएगा। वहीं चंद्रयान-3 आने वाले 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यानी दोनों चंद्र मिशनों की सॉफ्ट लैंडिंग का समय लगभग एक हो सकता है। हालांकि, लूना-25 कुछ घंटे पहले चांद की सतर पर लैंडिंग करेगा। रोस्कोस्मोस ने बताया कि लूना- 25 ने चांद की सतर की तस्वीरें भेजी हैं। यह चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध का तीसरा सबसे गहरा गर्त है, जिसका व्यास 190 किमी और गहराई 8 किमी है। रूसी स्पेस एजेंसी काक हना है कि लूना-25 से मिली अब तक की जानकारी के मुताबिक, चांद की मिट्टी में रासायनिक तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है।
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