Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi: ऋषि पंचमी की कथा से जानिए क्यों रखा जाता है ये व्रत
Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi (ऋषि पंचमी व्रत कथा): ऋषि पंचमी व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। कहते हैं इस व्रत को करने से अनजाने में की गई गलतियों से मुक्ति मिल जाती है। इसे भाई पंचमी (Bhai Panchami Katha) के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानिए ऋषि पंचमी की व्रत कथा।
Updated Sep 20, 2023 | 01:50 PM IST

Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi
Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi (ऋषि पंचमी व्रत कथा): ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 19 सितंबर 2023 की दोपहर 03:13 बजे से 20 सितंबर की दोपहर 03:46 बजे तक रहेगी। वहीं ऋषि पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त 10:59 AM से 01:25 PM तक रहेगा (Rishi Panchami Shubh Muhurat 2023)। इस शुभ मुहूर्त में व्रती सप्त ऋषियों की विधि विधान पूजा करेंगे। इस दिन की पूजा में व्रत कथा पढ़ना भी जरूरी माना जाता है। यहां देखिए ऋषि पंचमी की व्रत कथा (Rishi Panchami Ki Kahani In Hindi)।
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Rishi Panchami Vrat Katha In Hindi
ऋषि पंचमी व्रत कथा के अनुसार विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण रहते थे। उनकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिनका नाम सुशीला था। उन ब्राह्मण दंपत्ति के एक पुत्र और एक पुत्री थी। विवाह योग्य होने पर उन्होने कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह लड़की विधवा हो गई। दुःखी ब्राह्मण दम्पति कन्या समेत गंगा तट पर चले गए और वहीं कुटिया बनाकर रहने लगे।
एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी अचानक उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या की ऐसी स्थिति देख उसकी मां परेशान हो गई और उसने जाकर अपने पति से पूछा हे प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?
उत्तंक जी उस समय समाधि में थे उन्होंने इस घटना का पता लगाकर बताया कि पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। लेकिन इसने रजस्वला होते हुए बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं। धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है और वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि ये कन्या शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुःख अवश्य दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में इसे अटल सौभाग्य की प्राप्त करेगी।
पिता की आज्ञा से पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से उसके सारे दुख दूर हो गए और अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई।
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