भाई दूज के दिन जरूर पढ़ें यमराज और यमुना की कहानी, जानिए तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा
भाई दूज का त्योहार इस साल 3 नवंबर 2024, रविवार को मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को शुभ मुहूर्त में टीका लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। इस पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है।
भाई दूज के दिन जरूर पढ़ें यमराज और यमुना की कहानी, जानिए तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। रक्षाबंधन की तरह ही ये त्योहार भी भाई-बहन को समर्पित होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को टीका करके उनके लंबे और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। इस त्योहार को भैय्या दूज, भाई दूज, भतरु द्वितीया और भात्र द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जा रहा है। यहां आप जानेंगे भाई दूज का मुहूर्त, विधि, मंत्र, कथा, आरती समेत संपूर्ण जानकारी।
Bhai Dooj Katha In Hindi
भाई दूज 2024 तिथि व मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Date And Time)
भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन द्वितीया तिथि 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और इसकी समाप्ति 3 नवंबर की रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगी।
Bhai Dooj Puja Vidhi In Hindi
भाई दूज पर तिलक लगाने का समय 2024 (Bhai Dooj Par Tilak Lagane Ka Time 2024)
भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
Bhai Dooj Tilak Muhurat 2024
भाई दूज पूजा सामग्री (Bhai Dooj Puja Samagri)
टीका, मिठाई, कलावा, दीपक, धूप, चावल, नारियल या सूखा नारियल, रुमाल, रोली, मौली।
भाई दूज की पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi)
- भाई दूज के दिन भाई-बहन को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर यमुना नदी में या ताजे पानी में यमुना का जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- अगर बहन विवाहित हैं तो भाई अपनी बहन के घर जाकर भाई दूज बनाए।
- भाई-बहन मिलकर भगवान चित्रगुप्त की पूजा करें।
- बहनें भाई दूज की थाली सजाएं और इस थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई, अक्षत व सुपारी रखें।
- फिर एक चौकी पर अपने भाई को बिठाएं।
- भाई की आरती उतारें और उनके माथे पर घी का टीका लगाएं।
- इसके बाद भाई का मुंह मीठा करें।
- इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार जरूर दें।
- भाई को इस दिन अपनी बहन के हाथों से बने भोजन का सेवन जरूर करना चाहिए।
भाई दूज को कहां कैसे मनाया जाता है (Bhai Dooj Kha Kaise Manate Hain)
- उत्तर प्रदेश में भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को बताशे और आब और सूखा नारियल देती हैं।
- बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां बहनें इस त्योहार पर अपने भाइयों को डांटती हैं, उनसे लड़ाई करती हैं और फिर मांफी मांगती हैं। इसके बाद तिलक लगाकर उनकी पूजा करती हैं।
- पश्चिम बंगाल में इसे फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं। भाइयों का तिलक करती हैं और भाई बहन को उपहार देते हैं।
- महाराष्ट्र में इसे भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है। यहां बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं।
- नेपाल में इस पर्व को भाई तिहार के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहनें सात रंग से बना टीका भाइयों को लगाती हैं और ईश्वर से उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
भाई दूज पर क्या करें? (Bhai Dooj Par Kya Kare)
- इस दिन अक्षत, कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं।
- इसके बाद बहनें अपने भाई के लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- फिर विधि-विधान यम की पूजा करें। यम की पूजा के साथ ही उनकी बहन यमुना की पूजा भी करें।
- साथ ही इस दिन चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा का भी विधान है।
- इसके बाद बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें।
- ध्यान रखें कि जब तक पूजा संपन्न नहीं हो जाए तब तक भाई और बहनों दोनों को व्रत रखना चाहिए।
- पूजा समाप्त होने के बाद भाई-बहन को साथ मिलकर भोजन करना चाहिए।
भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Ka Mahatva)
भाई दूज को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीया और भातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए ईश्वर से कामना करते हुए उनके माथे पर तिलक लगाती हैं। साथ ही कई जगह इस दिन बहनें यम के नाम का दीपक भी घर के बाहर जलाती हैं। कहते हैं इससे भाईयों पर से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है।
भाई दूज की कहानी (Bhai Dooj Katha In Hindi)
एक मान्यता ये भी है कि इस दिन यमराज ने अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से प्रभावित होकर यह घोषणा की कि हर साल इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित करेंगी और भाई दूज का त्योहार मनाएंगी।भाई दूज का क्या महत्व है?
भाई दूज का यह त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते को मनाने का एक विशेष अवसर है। यह दिन एक-दूसरे के प्रति स्नेह और प्रेम को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।भाई दूज पूजा मुहूर्त 2024
भाई दूज पूजा के लिए मुहूर्त हर साल बदलता है, लेकिन सामान्यतः इसे कार्तिक मास की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली के दो दिन बाद आती है।समर्पण का प्रतीक भाई दूज
भाई दूज का यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते को मनाने का अवसर बन गया। यह दिन भाई-बहन के लिए एक-दूसरे के प्रति स्नेह और समर्पण का प्रतीक है।Holi Bhai Dooj Maa Yamuna Aarti, भाई दूज पर मां यमुना की आरती हिंदी में
ओम जय यमुना माता, हरि ओम जय यमुना माता,जो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता।।
पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा
जो जन प्रात: ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास ना पावे जो नित्य ध्यान करे
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो
नमो मात भय हरिणी शुभ मंगल करणी,
मन बेचैन भय है बिन वैतरणी
ओम जय यमुना माता, हरि ओम जय यमुना माता।
भाई दूज की कहानी (Bhai Dooj Katha In Hindi)
भाई दूज की पौराणिक कथा अनुसार इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। कहते हैं इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। बता दें सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यम हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे। इसलिए यमुना के अनेकों बार बुलाने पर भी वह अपनी बहन के घर नहीं जा पा रहे थे। लेकिन एक दिन अचानक से वो यमुना के घर पहुंच गए। यमुना अपने भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। उस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने हाथों भोजन कराया और साथ ही उनके माथे पर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। यमराज अपनी बहन से बेहद प्रसन्न हुए। जिस पर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा, तब यमुना ने कहा कि भैय्या आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आया जरूर आना और आप मुझे ये वरदान दो कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज बहु प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। कहते हैं तभी से भाई दूज पर्व की शुरुआत हो गई।भाई दूज 2024 तिलक मुहूर्त शहर अनुसार (Bhai Dooj 2024 Tilak Muhurat City Wise)
- नई दिल्ली01:10 PM से 03:22 PM
- नोएडा01:10 PM से 03:22 PM
- लखनऊ12:56 PM से 03:09 PM
- कानपुर12:59 PM से 03:12 PM
- पटना12:40 PM से 02:23 PM
- जम्मू01:19 PM से 02:28 PM
- चंडीगढ़01:12 PM से 03:22 PM
Bhai Dooj Is Celebrated In Which State: भाई दूज किस राज्य में मनाया जाता है
भाई दूज का त्योहार मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है।भाई दूज का क्या महत्व है?
भाई दूज का त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते को खूबसूरती से दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उन्हें अपने हाथ का बना भोजन कराती हैं और उनके मंगल जीवन की कामना करती हैं।भाई दूज तिलक मुहूर्त 2024 (Bhai Dooj Tilak Muhurat 2024)
भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। यानी भाई दूज मनाने के लिए पूरे 2 घंटे 12 मिनट मिलेंगे।भाई दूज पूजा मुहूर्त 2024 शहर अनुसार (Bhai Dooj Puja Muhurat 2024 City Wise)
नई दिल्ली - 01:10 PM से 03:22 PMनोएडा - 01:10 PM से 03:22 PM
चंडीगढ़ - 01:12 PM से 03:22 PM
पटना - 12:40 PM से 02:23 PM
लखनऊ - 12:56 PM से 03:09 PM
जम्मू - 01:19 PM से 02:28 PM
कानपुर - 12:59 PM से 03:12 PM
भोपाल - 01:11 PM से 03:26 PM
कोटा - 01:17 PM से 03:31 PM
जयपुर - 01:17 PM से 03:29 PM
इंदौर - 01:18 PM से 03:33 PM
मुंबई - 01:31 PM से 03:47 PM
पणजी - 01:227 PM से 03:46 PM
भाई दूज पूजा मुहूर्त 2024
भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।Bhai dooj katha in hindi: भाई दूज कथा
पौराणिक कथा के अनुासर, सूर्यदेव के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। यमराज को अपनी बहन यमुना से बेहद लगाव था। यमुना अपने भाई से बार-बार घर आने के लिए कहती। लेकिन अधिक काम होने की वजह से वह समय पर अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे। एक बार ऐसा समय आया कि यमुना ने यमराज को वचन दिया कि वह कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया तिथि पर यमुना से मिलने उनके घर आएंगे, लेकिन यमराज को यमुना के घर जाने में थोड़ा संकोच होने लगा, क्योंकि वह लोगों के प्राणों को हरते हैं, तो इस वजह से कौन उन्हें अपने घर बुलाएगा। लेकिन इसके बाद भी वह यमुना के घर चले जाते हैं। जब यमराज बहन के घर पहुचें, तो वह भाई को देख बेहद प्रसन्न हुईं और उनकी सेवा की। यमुना ने अपने भाई के लिए कई तरह के पकवान बनाए। बहन की सेवा को देखकर यम बेहद खुश हुए और यमुना से कोई वर मांगने के लिए कहा। इसके बाद यमुना ने उनसे वचन लिया कि हर साल कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया तिथि पर वह मेरे घर आकर भोजन किया करें। यमराज ने भी उन्हें तथास्तु कहते हुए उन्हें तरह-तरह की भेंट भी दी। मान्यता के अनुसार, तभी से भाई दूज के पर्व को मनाने की शुरुआत हुई।Bhaidooj timing 2024: भाई दूज टाइमिंग
इस साल भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 12 मिनट की है।भाई दूज का त्योहार कैसे मनाया जाता है
भाई दूज पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के आखिरी दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनके लिए स्वादिष्ट- स्वादिष्ट भोजन तैयार करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, और उनकी रक्षा करने का अमिट वादा करते हैं।Bhai Phota timing 2024 bengali: भाई फोटा 2024
इस साल भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 12 मिनट की है।bhai dooj kaise manate hain (भाई दूज कैसे मनाते हैं)
भाई दूज, दिवाली के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है.इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर मौली बांधती हैं.
भाई दूज पर बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और नारियल देती हैं.
भाई दूज पर बहनें व्रत रखती हैं और भाई को भोजन कराकर व्रत खोलती हैं.
भाई दूज पर भाई अपनी बहन के घर जाकर उनसे तिलक करवाते हैं और उन्हें भेंट देते हैं.
भाई दूज पर यमराज और यमुना की पूजा की जाती है.
भाई दूज पर बहनें यमराज के नाम से दीपक जलाकर घर की दहलीज़ के बाहर रखती हैं.
भाई दूज पर भाई को एक चौकी पर बिठाकर उसके हाथों में श्रीफल देना चाहिए.
भाई दूज पर भाई को दूब खास की पत्तियों से आरती उतारी जाती है.
भाई दूज पर भाई को कलावा बांधा जाता है
Bhai Dooj puja vidhi: भाई दूज पूजा विधि
अगर भाई दूज के दिन भाई आपके पास नहीं है, तो आप इस तरह से पूजा कर सकती हैं। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें।इसके बाद मंदिर के सभी समानों को अच्छें से साफ कर लें। आपके जितने भाई हैं उतनी संख्या में गोले लेकर आएं।
एक चौकी पर पीले रंग के वस्त्र को बिछाएं वहां पर उन गोलों को स्थापित करें।
अब फूल के ऊपर चावल रखकर इसके ऊपक गोले को रख दें। बाद में इस गोले को गंगाजल से स्नान कराएं और रोली व चावल से तिलक करें।
पूजा के बाद मिठाई का भोग लगाएं और नारियल के गोलों की आरती उतारें।
इसके बाद इन्हें पीले रंग के कपड़े से ढक कर शाम तक छोड़ दें।
पूजा के बाद भाई की लंबी आयु और कष्टों से मुक्ति के लिए यमराज से प्रार्थना करें।
अगले दिन नारियल के गोलों को पूजा स्थल से उठा लें और संभव हो तो गोलों को भाई के पास भेज दें।
Bhai Dooj 2024 Upay: भैया दूज पर करें आसान उपाय, घर में आएगी खुशहाली
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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Disclaimer
Bhai Dooj kyun manai jati hai: भाई दूज क्यों मनाई जाती है
भाई दूज भी रक्षाबंधन की तरह भाई बहन का त्योहार है। इसे उनके प्रेम और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु की कामना के साथ सुख शांति के लिए पूजा करती हैं। पूजन के बाद भाई के माथे पर तिलक लगाकर बहन भाई दूज मनाती हैं।भाई दूज पर तिलक लगाने का समय 2024 (Bhai Dooj Par Tilak Lagane Ka Time 2024)
भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।भाई दूज का व्रत कैसे किया जाता है
भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक लगाना चाहिए। भाई को तिलक लगाने के बाद बहने भोजन कर सकती हैं।can we eat nonveg in bhai dooj
भाई दूज के दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए. भाई दूज के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए।bhai dooj kyun manate hain: भाई दूज क्यों मनाते हैं
भाई दूज का पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई को तिलक करने के बाद भाई अपनी बहनों को अपनी क्षमतानुसार उपहार देते हैं। भाई दूज के दिन बहने अपने भाई को निमंत्रण देकर उन्हें भोजन भी करवाती हैं।भाई दूज पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi)
इस दिन बहन-भाई सुबह जल्दी उठकर नहाने के पानी में यमुना का जल डालकर स्नान करें।फिर बहनें ईश्वर से अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हुए विधि विधान पूजा करें।
भाई दूज पूजा की थाली सजाएं। जिसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फूल, फल, मिठाई, गोला, अक्षत व सुपारी जरूर रखें।
पहले इस थाली को घर के मंदिर में रखें और इसकी विधि विधान पूजा करें।
फिर एक साफ चौकी अपने भाई को बिठाएं।
इसके बाद भाई को सबसे पहले तिलक लगाएं।
फिर उन पर थोड़े से अक्षत डालें। उनके सीधे हाथ में कलावा बांधे।
भाई की आरती उतारें और इसके बाद मुंह मीठा कराएं।
इस दिन बहनों का भाई को अपने हाथ से बना भोजन खिलाना बेहद शुभ माना जाता है।
भाई दूज की कहानी (Bhai Dooj Vrat Katha)
भाई दूज की पौराणिक कथा अनुसार इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। कहते हैं इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। बता दें सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यम हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे। इसलिए यमुना के अनेकों बार बुलाने पर भी वह अपनी बहन के घर नहीं जा पा रहे थे। लेकिन एक दिन अचानक से वो यमुना के घर पहुंच गए। यमुना अपने भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। उस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने हाथों भोजन कराया और साथ ही उनके माथे पर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। यमराज अपनी बहन से बेहद प्रसन्न हुए। जिस पर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा, तब यमुना ने कहा कि भैय्या आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आया जरूर आना और आप मुझे ये वरदान दो कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज बहु प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। कहते हैं तभी से भाई दूज पर्व की शुरुआत हो गई।भाई दूज पूजा सामग्री लिस्ट (Bhai Dooj Puja Samagri List)
- रोली
- अक्षत यानी सफ़ेद चावल
- फूल
- सुपारी
- पान का पत्ता
- चांदी का सिक्का
- सूखा नारियल
- कलावा
- केला
- मिठाई
- दीपक
उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर्व
यूपी में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं। उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर आब और सूखा नरियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है।भाई दूज पर बहनें भाई को क्या देती हैं
भाई दूज के दिन कई जगह पर बहनें अपने भाई को सूखा नारियल देती हैं।Bhai Dooj Katha: भाई दूज कथा
भैया दूज की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की 2 संतानें थीं, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए आमंत्रित करतीं, लेकिन व्यस्तता के कारण यमराज उसके घर न जा पाते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक से जा पहुँचे। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कराया। बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा दिल से आदर-सत्कार किया। तरह-तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया और भाल पर तिलक लगाया। जब यमराज वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा: भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आया करेंगे। इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे और इस दिन जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। इसी के साथ यमराज ने यमुना को ये भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो उन पर मेरा प्रकोप नहीं रहेगा। यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। कहते हैं तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। कहते हैं जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का खाना खाता है उसे विविध प्रकार के सुख मिलते हैं।भाई दूज क्यों मनाई जाती है
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। कहते हैं भाई दूज मनाने की परंपरा यम और यमराज ने शुरू की थी।भाई दूज कब मनाई जाती है
भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है।3 दिसंबर को चंद्र दर्शन दिवस, मनोवांछित फल की प्राप्ति का सुनहरा अवसर
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