Aditya Hridaya Stotra: अनंत चतुर्दशी पर 'आदित्य-हृदय स्तोत्र' का पाठ करने से हर बाधा होगी दूर
Aditya Hridaya Stotra (आदित्य-हृदय स्तोत्र): ऐसी मान्यता है कि आदित्य-हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। इस पाठ को करने के लिए रविवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। यहां जानिए आदित्य-हृदय स्तोत्र पाठ के लिरिक्स और इसे करने की विधि।
Aditya Hridaya Stotra Path In Hindi
Aditya Hridaya Stotra (आदित्य-हृदय स्तोत्र): आदित्यहृदयम् वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड मे लिखे मंत्र हैं। जिसके द्वारा सूर्य देव की स्तुति की जाती है। जब भगवान राम, रावण से युद्ध करने के लिये रणक्षेत्र में थे, उस समय ऋषि अगस्त्य ने श्री राम को सूर्य देव की स्तुति करने की सलाह दी। मान्यता है जो व्यक्ति आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करता है उसे नौकरी में पदोन्नति और अपार धन की प्राप्ति होती है। इस पाठ को करने से मनुष्य की मनोकामना सिद्ध हो जाती है। आदित्यहृदयम् में कुल 30 श्लोक हैं और इन्हें 6 भागों में बांटा गया है। यहां देखें संपूर्ण आदित्य-हृदय स्तोत्र पाठ।
आदित्य-हृदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra)
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् ।
रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।
उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा ॥2॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् ।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ।
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥4॥
सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् ॥5॥
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् ।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥6॥
सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः ।
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः ॥7॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ॥8॥
पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः ।
वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः ॥9॥
आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान् ।
सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः ॥10॥
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ।
तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥11॥
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः ।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः ॥12॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋम्यजुःसामपारगः ।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥
आतपी मण्डली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः ।
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोदभवः ॥14॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥15॥
नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः ।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः ॥16॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः ।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः ॥17॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः ।
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूरायदित्यवर्चसे ।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ॥19॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः ॥20॥
तप्तचामीकराभाय हस्ये विश्वकर्मणे ।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेव सृजति प्रभुः ।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः ॥22॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः ।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् ॥23 ॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च ।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः ॥24॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम् ।
एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्ति ॥26॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि ।
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् ॥27॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा, नष्टशोकोऽभवत् तदा ।
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान् ॥28॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् ।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् ॥29॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थे समुपागमत् ।
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् ॥30॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितनाः परमं प्रहृष्यमाणः ।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31 ॥
Aditya Hridaya Stotra In English
Tato yuddha parishraantam samare chintayaa sthitam
Raavanam chaagrato drishtvaa yuddhaaya samupasthitam
Daivataishcha samaagamya drashtu mabhyaagato ranam
Upaagamyaabraveed ramam agastyo bhagavaan rishih
Rama Rama mahaa baaho shrunu guhyam sanaatanam
Yena sarvaanareen vatsa samare vijayishyasi
Aaditya Hridayam punyam sarva shatru vinaashanam
Jayaavaham japennityam akshayyam paramam shivam
Sarva mangala maangalyam sarva paapa pranaashanam
Chintaa shoka prashamanam ayur vardhanamuttamam
Rashmi mantam samudyantam devaasura namaskritam
Poojayasva vivasvantam bhaaskaram bhuvaneshvaram
Sarva devaatmako hyesha tejasvee rashmi bhaavanah
Esha devaasura ganaan lokaan paati gabhastibhih
Esha brahmaa cha vishnuscha shivah skandah prajaapatih
Mahendro dhanadah kaalo yamassomo hyappam patih
Pitaro vasavassaadhyaa hyashvinou maruto manuh
Vaayur vahnih prajaah praana ritukartaa prabhaakarah
Aadityassavitaa sooryah khagah pooshaa gabhastimaan
Suvarna sadrisho bhaanur hiranyaretaa divaakarah
Haridashwah sahasraarchih sapta saptir mareechimaan
Timironmathanah shambhuh stvashtaa maartanda amshumaan
Vyoma naathah stamo bhedee rig yajussaama paaragah
Ghana vrishti rapaam mitro vindhya veethee plavagamah
Aatapee mandalee mrityuh pingalah sarva taapanah
Kavir vishwo mahaa tejaa raktassarva bhavod bhavah
Nakshatra graha taaraanaam adhipo vishva bhaavanah
Tejasaamapi tejasvee dvaadashaatman namostute
Namah poorvaaya giraye paschimaayaadraye namah
Jyotirganaanaam pataye dinaadhipataye namah
Jayaaya jaya bhadraaya haryashvaaya namo namah
Namo namah sahasraamsho aadityaaya namo namah
Nama ugraaya veeraaya saarangaaya namo namah
Namah padma prabodhaaya maartaandaaya namo namah
Brahmeshaanaachyuteshaaya sooryaayaaditya varchase
Bhaasvate sarva bhakshaaya roudraaya vapushe namah
Tamoghnaaya himaghnaaya shatrughnaaya mitaatmane
Kritaghaghnaaya devaaya jyotishaam pataye namah
Tapta chaameekaraabhaaya vahnaye vishwa karmane
Namastamobhi nighnaaya ruchaye loka saakshine
Naashayatyesha vai bhootam tadeva srijati prabhuh
Paayatyesha tapatyesha varshatyesha gabhastibhih
Esha supteshu jaagarti bhooteshu pari nishthitah
Esha chaivaagni hotrancha phalam chivaagni hotrinaam
Vedaashcha kratavashchaiva kratoonaam phalameva cha
Yaani krityaani lokeshu sarva esha ravih prabhuh
Enam aapatsu krichchreshu kaantaareshu bhayeshu cha
Keertayan purushah kashchin naavaseedati raaghava
Poojayasvaina mekaagro deva devam jagatpatim
Etat trigunitam japtvaa yuddheshu vijayishyasi
Asmin kshane mahaa baaho raavanam tvam vadhishyasi
Evamuktvaa tadaagastyo jagaama cha yathaagatam
Etachchrutvaa mahaa tejaa nashta shoko bhavattadaa
Dhaarayaamaasa supreeto raghavah prayataatmavaan
Aadityam prekshya japtvaa tu param harshamavaaptavaan
Triraachamya shuchir bhootvaa dhanu raadaaya veeryavaan
Raavanam prekshya hirshtaatmaa yuddhaaya samupaagamat
Sarva yatnena mahataa vadhe tasya dhrito bhavat
Atha ravi ravadannirikshya raamam
mudita manaah paramam prahrishyamaanah
Nishi chara pati samkshayam viditvaa
suragana madhyagato vachastvareti
आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की विधि
सूर्योदय से पहले ही स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक तांबे के लोटे में साफ जल लेकर उसमें चंदन और फूल डाल लें और इस जल को सूर्य भगवान को चढ़ाएं। सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद वहीं उनके समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पूर्ण फल पाने के लिए रोजाना सूर्योदय के समय इसका पाठ करना चाहिए।
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