भारतीय सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई
भारतीय सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने मंगलवार को बताया कि इस साल मई में शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद हुए संघर्षों के दौरान पड़ोसी देश को भारी नुकसान सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से सार्वजनिक किए गए मरणोपरांत पुरस्कारों की सूची से यह आकलन निकाला जा सकता है कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर 100 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई है।
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लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कुछ दिन पहले वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह के इस विवरण को दोहराया कि मई में हुए संघर्ष के दौरान पाकिस्तान ने कम से कम 12 विमान खो दिए थे। सैन्य अधिकारी ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना अपनी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार थी और अगर पाकिस्तान ने आगे संघर्ष जारी रखने का फैसला किया होता, तो यह ‘‘न केवल समुद्र से, बल्कि अन्य माध्यमों से भी उसके लिए विनाशकारी’’ हो सकता था। उन्होंने सात से 10 मई के बीच चले संघर्ष के बारे में कहा कि सात मई को भारत द्वारा नौ आतंकी ठिकानों पर बमबारी के तुरंत बाद पाकिस्तान ने सीमा पार से गोलीबारी शुरू कर दी थी।
घई ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना ने अपनी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार रही और यदि पाकिस्तान ने संघर्ष जारी रखा होता तो समुद्र सहित अन्य माध्यमों से उसके लिए परिणाम “विनाशकारी” हो सकते थे। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन हमलों को “बेहद नाकाम” करार दिया और कहा कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच वार्ता के बाद भी पाकिस्तान ने ड्रोन भेजे, मगर उन प्रयासों से हमारे जवानों और सामग्रियों को कोई सार्थक नुकसान नहीं हुआ।
डीजीएमओ ने नौ और 10 मई की रातों को वायुसेना द्वारा पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हवाई कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय विमानन ने पाकिस्तान के 11 हवाई ठिकानों पर हमले किए — जिसमें आठ हवाई अड्डे, तीन हैंगर और चार रडार प्रणाली क्षतिग्रस्त हुए। जमीन पर भी पाकिस्तानी हवाई संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि इसमें एक C‑130 श्रेणी का विमान, एक AEW&C (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) विमान और चार-पांच लड़ाकू विमान शामिल रहे।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने जून में पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले तीन आतंकवादियों को मार गिराए जाने का भी ज़िक्र किया और कहा कि सेना ‘‘पाताल लोक’’ से ढूंढ निकालने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थी और ‘‘हमने ऐसा ही किया’’। उन्होंने कहा, ‘‘हमें 96 दिन लगे, लेकिन हमने उन्हें चैन से नहीं बैठने दिया।’’ उन्होंने कहा कि जब इन तीनों आतंकवादियों को ढूंढकर मार गिराया गया, तो ऐसा लग रहा था जैसे वे भागते-भागते थक गए हों और वे बहुत कुपोषित भी लग रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा, ‘‘आतंकवाद के विरुद्ध हमारी रणनीति में सैद्धांतिक बदलाव आया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री ने इस बारे में बात की है और तीन बातें कही हैं- पहला, आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, इसलिए निर्णायक जवाबी कार्रवाई होगी। दूसरा, हम परमाणु ‘ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेंगे और तीसरा, आतंकवादियों और आतंकवाद के प्रायोजकों के बीच कोई अंतर नहीं है।’’
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