Chandrayaan-3 Mission को लेकर ISRO ने भारतीयों को खुशखबरी दे दी!-Video
mission chandrayaan 3 update: भारत के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन के तहत चंद्रयान-3 बुधवार को, पृथ्वी के इकलौते उपग्रह की पांचवी और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया, तथा चंद्रमा की सतह के और भी करीब आ गया।
Mission Chandrayaan-3: भारत के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 को लेकर ISRO ने बड़ी खुशखबरी दी है, इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 मिशन चांद के बेहद करीब पहुंच गया है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा कि इसके साथ ही चंद्रयान-3 ने चंद्रमा तक पहुंचने की अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब यह प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की तैयारी करेगा। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने ट्वीट किया, 'आज की सफल प्रक्रिया संक्षिप्त अवधि के लिए आवश्यक थी। इसके तहत चंद्रमा की 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रयान-3 स्थापित हो गया, जिसका हमने अनुमान किया था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई। अब प्रणोदन मॉड्यूल और लैंडर अलग होने के लिए तैयार हैं।'
Chandrayaan 3 Mission: चांद से बस अब कुछ ही दूर रह गया है चंद्रयान 3, चौथे ऑर्बिट में हुई सफल एंट्री
इसरो ने कहा कि 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की योजना है। 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, जिसके बाद इसने छह, नौ और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षाओं में प्रवेश किया तथा उसके और निकट पहुंचता गया।चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थापित करने का अभियान आगे बढ़ रहा है। इसरो चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने का प्रयास कर रहा है और चंद्रमा से उसकी दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
23 अगस्त को यान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास
चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। इसरो के सूत्रों ने बताया कि अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए 'डीबूस्ट' (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर दूर है। यहीं से 23 अगस्त को यान की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।
'यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों'
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह 'प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी'सोमनाथ ने कहा, 'लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है। यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना होगा। क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है। हमने कई बार इस प्रक्रिया को दोहराया है। यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान-2) समस्या हुई थी।'उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों। 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से तीन हफ्तों में इसरो ने चंद्रयान-3 को, पृथ्वी से दूर चंद्रमा की पांच से अधिक कक्षाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित किया है।
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