नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) होंगे जिन पर इस पद पर रहते हुए तीनों सेनाओं को प्रभावी नेतृत्व देने की जिम्मेदारी होगी। साथ ही वह रक्षा और रणनीतिक मामलों में सरकार के प्रमुख सलाहकार भी होंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाए जाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से की थी। यहां जानें सीडीएस के पद और इस पद को संभाल रहे जनरल बिपिन रावत के बारे में।
सीडीएस- साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की लड़ाई हुई। इस लड़ाई में भारत की जीत के बाद साल 2001 में तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में कारगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) को गठित किया गया।
जीओएम ने पाया कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी रही जिन्होंने इस लड़ाई में मुख्य तौर पर हिस्सा लिया था। अगर बेहतर तालमेल होता तो युद्ध में हुए नुकसान को कम किया जा सकता था। यहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद की जरूरत महसूस हुई जो तीनों सेनाओं को नेतृत्व देते हुए संयुक्त सैन्य अभियानों के समय प्रभावी तरीके से अहम फैसले ले सके। साथ ही इस पद पर सेवा दे रहा व्यक्ति तीनों सेनाओं और सैन्य अभियानों के मामले में रक्षा मंत्री और सरकार का प्रमुख सलाहकार भी होगा।
(सीडीएस पद के लिए नाम की घोषणा होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।)
जनरल बिपिन रावत-
जनरल बिपिन रावत दिसंबर अंत में सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो रहे हैं। सेना प्रमुख बनने के समय उन्होंने अपने से वरिष्ठ दो अधिकारियों से आगे निकलकर यह पद संभाला था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला का हिस्सा रहे हैं।
अपने करियर में जनरल बिपिन रावत को यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है। दो मौकों पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमांडर कमेंडेशन भी दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए, उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से सम्मानित किया गया।
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (MONUC) में एक चाप्टर VII मिशन के दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की भी कमान संभाली। एक आर्मी कमांडर के रूप में, उन्होंने पश्चिमी मोर्चे पर नेतृत्व किया।
जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी सेक्टर में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैन्ट्री बटालियन की कमान संभाली थी। वह एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन और उत्तर पूर्व में एक कोर का नेतृत्व कर चुके हैं।
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