नई दिल्ली : रूस से एस-400 खरीद पर भारत अपने सहयोगी देश अमेरिका के दबाव में आने वाला नहीं है। अमेरिकी चेतावनी को दरकिनार करते हुए एस-400 को अपनी सुरक्षा कवच में शामिल करने के लिए भारत अपनी तैयारी में जुट गया है। सतह से वायु में मार करने वाली इस वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति सितंबर-अक्टूबर महीने से शुरू होने वाली है। इस दिशा में अपनी तैयारी तेज करते हुए भारतीय वायु सेना (IAF) का एक बड़ा दल इस महीने के आखिर में रूस के लिए रवाना होगा।
एस-400 के लिए 2018 में हुआ सौदा
दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में शामिल एस-400 के लिए भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ सौदा किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान नई दिल्ली में करीब पांच अरब डॉलर के इस सौदे पर हस्ताक्षर हुए। अमेरिका नहीं चाहता कि भारत रूस से एस-400 खरीदे। रूस से पांच एस-400 की आपूर्ति अप्रैल 2023 तक होनी है।
चीन-पाक के खिलाफ तैनात होगी यह प्रणाली
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह रक्षा प्रणाली 400 किलोमीटर के दायरे में लड़ाकू विमानों, जासूसी प्लेन, मिसाइल एवं ड्रोन को पता लगाकर उन्हें नष्ट कर देती है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक चीन और पाकिस्तान के खतरों से निपटने के लिए इन रक्षा प्रणालियों को पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी सेक्टरों में तैनात किया जाएगा।
रूस रवाना होगा IAF का एक बड़ा दल
रिपोर्ट के मुताबिक इस रक्षा प्रणाली के रखरखाव एवं ऑपरेशन से जुड़े प्रशिक्षण के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह में आईएएफ का करीब 100 अधिकारियों एवं कर्मियों का एक दल रूस के लिए रवाना होगा। कुछ महीने बाद आईएएफ का एक और जत्था मास्को जाएगा। सूत्र के मुताबिक एस-400 की आपूर्ति सितंबर-अक्टूबर महीने में शुरू होनी है और इस प्रणाली का पहला स्कवॉड्रन 2021 अथवा 2022 की शुरुआत में ऑपरेशनल हो जाएगा।
कई गुना बढ़ जाएगी भारत की ताकत
एस-400 के आ जाने के बाद भारत की रक्षा एवं सामरिक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। दरअसल यह रक्षा प्रणाली भारतीय वायु क्षेत्र को अभेद बना देगी। आसमान की तरफ से आने वाले दुश्मन के सभी तरह के हथियार इसके आगे बेकार हो जाएंगे। एस-400 एक साथ सौ से ज्यादा टारगेट का पता लगा सकती है। रूस का दावा है कि उसका यह डिफेंस सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों और अमेरिकन एफ-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी इंटरसेप्ट कर उन्हें नष्ट कर सकता है।
बिडेन प्रशासन से 'छूट' मिलने की उम्मीद
भारत को उम्मीद है कि रूस से एस-400 खरीद पर उसे बिडेन प्रशासन से 'छूट' मिलेगी। अमेरिकी ने साल 2017 में रूस से हथियार और ईरान से तल खरीदने पर प्रतिबंध लगाया है। रूस से हथियार और ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका काउंटरिंग अमेरिका एडवरसरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट (काट्सा) के तहत प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, अमेरिकी सांसदों का एक धड़ा एवं वहां के थिंक टैंक भारत को छूट देने की बात कहते आए हैं।
बेहद करीबी हैं भारत-यूएस संबंध
दोनों देशों के करीबी संबंधों को देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि एस-400 की खरीद पर अमेरिका शायद ही भारत पर प्रतिबंधों की घोषणा करे क्योंकि अमेरिका-भारत रक्षा संबंध अब तक के सबसे घनिष्ठतम दौर में हैं। दक्षिण एशिया में चीन का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत भारत उसके हित में है। अमेरिका को भारत जैसे एक शक्तिशाली सहयोगी देश की जरूरत है।
India News in Hindi (इंडिया न्यूज़), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Network Hindi पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें.