नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के मुख्य दलों के नेता अब नजरबंद नहीं है, वो आजाद हैं, लेकिन दिल पाकिस्तान और चीन के लिए धड़कता है। फारुक अब्दुल्ला ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें तो अब चीन से उम्मीद है कि अनुच्छेद 370 वापस आएगा। यह बात अलग है कि अब्दुल्ला की लानत मलानत हुई। इसके बाद जब महबूबा मुफ्ती रिहा हुईं तो अब्दुल्ला पिता पुत्र उनसे मिलने के लिए पहुंचे और गुपकार में शामिल होने के लिए उन्हें न्यौता दिया। जम्मू-कश्मीर के 6 राजनीतिक दल शामिल हुए और आवाज सिर्फ एक थी कि अनुच्छेद 370 की बहाली तक संघर्ष। लेकिन बीजेपी ने उसे हवाई किले बनाना करार दिया।
गुपकार सिर्फ मुखौटा
बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने शनिवार क ट्वीट किया, 'गुपकार 2 सिर्फ एक मुखौटा है. हर कश्मीरी जानता है कि विशेष दर्जा वापस नहीं होने जा रहा है, और गुप्कारियों की यह एक चाल भर है। लेकिन मोदी सरकार के लिए अच्छा यह रहा कि 2019 ने 1953 को बदल दिया है। वेलकम टू रियलपोलिटिक। उन्होंने कहा कि गुपकार उन लोगों की आवाज है जो जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अप्रसांगिक हो चुके हैं।
अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए करते रहेंगे संघर्ष
असल में, जम्मू कश्मीर राज्य के दर्जे में बदलाव, विभाजन और अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर कश्मीर के राजनीतिक दल एकजुट हैं। नजरबंदी से रिहाई के बाद नेशलन कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती समेत तमाम नेताओं के गुपकार समूह की बैठक हुई थी. इसमें अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की गई।
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