नई दिल्ली। 8 साल पहले यानी कि 2012 का दिसंबर का महीना आज ही की तरह सर्द था। लेकिन बीतता हुआ वो महीना ढेरों गम दे गया। ऐसा गम जो समय समय पर ताजा हो जाती है। उस घटना की शिकार की पहचान निर्भया से होने लगी तो उसके पीछे वजह भी थी। लेकिन गैंगरेप से जुड़ी घटना या फैसले जब सामने आते हैं तो 12 दिसंबर और 20 दिसंबर दोनों तारीखें बरबस आंखों में आंसू लिए याद आ जाती हैं। 29 दिसंबर के दिन निर्भया इस दुनिया को अलविदा कह गई। लेकिन इतिहास के पन्नों में वो हादसा हमेशा के लिए अजर अमर हो गया। आज जब हम रेप या गैंगरेप की घटनाओं को सुनते हैं तो जेहन में सिर्फ एक ही बात आती है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। लेकिन कुछ फैसले जब ऐसे होते हैं जो कहते हैं कि न जानें कितनी और निर्भया।
अदालत से आरोपी रिहा
जिस घटना का हम जिक्र करेंगे को वो पंजाब के लुधियाना की है। गैंगरेप की शिकार लड़की का मुकदमा न्याय की एक चौखट से दूसरी चौखट तक जा पहुंचा था। लेकिन जो फैसला आया वा हैरान करने वाला है. पंजाब हाईकोर्ट ने गैंगरेप के मुख्य अभियुक्त को जमानत देने का फैसला किया है। फॉरेंसिंक रिपोर्ट में पीड़िता के कपड़े पर आरोपी के सीमेन की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा पुलिस ने उस मोबाइल फोन को भी बरामद कर लिया था जिसके जरिए पीड़िता को ब्लैकमेल किया जाता था।
याद आता है 16 दिसंबर और 29 दिसंबर
इस तरह की घटनाओं के बाद आज से 8 साल पहले दिल्ली की सड़कों पर वो नजारे बरबस याद आ जाते हैं जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है। रेप या गैंगरेप की घटनाओं के बाद वो दुखभरी दास्तां जख्मों को और हरा कर देती है। आम जनमानस की यही सोच होती है कि इस तरह के कुकृत्य के लिए जो लोग जिम्मेदार हों उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो। लेकिन जब इस तरह के मामलों में फैसलों में देरी या साक्ष्यों के बाद भी फैसले मनमुताबिक नहीं आते हैं तो गम का पहाड़ टूट पड़ता है।
India News in Hindi (इंडिया न्यूज़), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Network Hindi पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें.