चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गलवान घाटी में हिंसा के लिए चीन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने की केंद्र सरकार से मांग की है। कैप्टन ने शुक्रवार को कहा कि गलवान घाटी को पूरी तरह से खाली करने के लिए चीन को भारत सरकार की तरफ से चेतावनी जारी होनी चाहिए। इस चेतावनी में इस बात का साफ जिक्र होना चाहिए कि यदि वह गलवान घाटी को तुरंत खाली नहीं करता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
'हम घुसपैठ जारी रखने की इजाजत नहीं दे सकते'
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक चंडीगढ़ एयरबेस पर मीडियाकर्मियों के साथ औपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कार्रवाई करते समय हमें कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर हमले एवं घुसपैठ जारी रखने की इजाजत नहीं दे सकता। मुख्यमंत्री यहां गलवान घाटी से आए तीन शहीदों के पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे। कैप्टन ने कहा कि इस बार चीन के साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है।
मुश्किल हालात पड़ने पर भाग जाते हैं चीनी
उन्होंने कहा, 'चीनी सैनिकों का जब मुश्किल हालातों से सामना होता है तो वे भाग जाते हैं। उनकी गीदड़भभकी को खत्म करने का समय आ गया है।' मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक भारतीय चाहता है कि चीन को इस बार मुहंतोड़ जवाब दिया जाए। उन्होंने कहा, 'चीन साल 1962 से भारतीय क्षेत्र को धीरे-धीरे निवाले की तरह निगलते जा रहे हैं।'
जवानों ने गोली क्यों नहीं चलाई
पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग लड़ चुके कैप्टन इस बार चीन को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कैप्टन ने पूछा कि गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के दौरान भारतीय जवानों के पास अगर हथियार थे तो उन्होंने गोली क्यों नहीं चलाई। उन्होंने कहा कि उन्हें यह समझने में काफी मुश्किल हो रही है कि भारतीय सैनिकों के पास हथियार था लेकिन अपने कमांडिंग ऑफिसर को मारे जाता देख भी उन्होंने उन हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नल के शहीद होने के बाद वहां जो कमांडिंग अधिकारी था उसका कोर्ट मार्शल होना चाहिए।
भारत ने चीन को दिया है कड़ा संदेश
बता दें कि गत 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भीषण खूनी संघर्ष हुआ। इस हिंसा में एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए। गलवान घाटी की हिंसा के लिए भारत ने चीन को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना के बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया है। भारत सरकार ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। पीएम मोदी ने कहा है कि गलवान में सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।
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