नई दिल्ली : भारत के साथ बातचीत शुरू करने की अकुलाहट पाकिस्तान में इतनी ज्यादा है कि इमरान खान सरकार के बड़े अधिकारी झूठ बोलने से बाज नहीं आ रहे। इमरान खान के शीर्ष सुरक्षा सलाहकार मोईद डब्ल्यू युसूफ के उस दावे को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत की ओर से भेजे गए एक संदेश में 'बातचीत शुरू करने की इच्छा प्रकट' की गई है। इमरान खान के इस अधिकारी के इस दावे को भारत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भारत ने कहा है कि बातचीत दोबारा शुरू करने की उसकी शर्त में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
भारत ने सलाहकार के दावो को खारिज किया
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने बातचीत शुरू करने के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष या मध्यस्थता किसी भी तरीके से पाकिस्तान से संपर्क करने की कोई कोशिश नहीं की है। रिपोर्ट के मुताबिक नाम उजागर न करने की शर्त पर सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह कोरी कल्पना है।' अधिकारी ने कहा कि मोईद युसूफ के दावे पर आने वाले समय में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से एक औपचारिक प्रतिक्रिया आएगी।
बातचीत शुरू करने के अपने पुराने रुख पर कायम है भारत
अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करने पर भारत का रुख स्पष्ट है। बातचीत दोबारा शुरू करने के लिए पाकिस्तान को हिंसा एवं आतंकवाद का रास्ता छोड़कर एक उपयुक्त माहौल बनाना होगा। भारत का रुख है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों एक साथ नहीं चल सकते। भारत कई दफे यह कह चुका है कि वार्ता शुरू करने से पहले पाकिस्तान को सीमा पार से होने वाली भारत विरोधी गतिविधियां बंद और आतंकवादियों पर कार्रवाई करनी होगी।
'यह शरारतपूर्ण सोच और दूर का स्वप्न'
रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकवाद और आतंकवादियों पर कार्रवाई किए बगैर पाकिस्तान की तरफ से इस तरह का संदेश देना कि भारत उसके साथ बातचीत के लिए तैयार है, 'यह न केवल एक शरारतपूर्ण सोच है बल्कि बहुत दूर का स्वप्न है।'
पाक सेना के करीबी रहे हैं युसूफ
पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों पर नजर रखने वाले एक जानकार का कहना है कि ऐसा लगता है कि युसूफ ने पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ नजदीकी से काम किया है। इस करीबी के चलते उन्हें इमरान खान का सलाहकार नियुक्त किया गया है। पाकिस्तानी पीएम के सलाहकार नियुक्त होने से पहले युसूफ यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस से जुड़े थे। वहां पर उन्होंने अपनी छवि भारत-पाकिस्तान के बीच शांति एवं सौहार्द का बढ़ावा देने वाले व्यक्ति के रूप में गढ़ी थी।
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