नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुश्किलें कड़ाके की ठंड और बारिश ने बढ़ा दी हैं। बारिश होने से रविवार सुबह तक आंदोलन स्थलों पर तंबुओं में पानी भर गया और अलाव, ईंधन की लकड़ी, कंबल आदि भी भीग गए। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि किसान जिन तंबुओं में रह रहे हैं वे वाटरप्रूफ हैं लेकिन ये ठंड और जलभराव से उनका बचाव नहीं कर सकते। बारिश की वजह से प्रदर्शन स्थलों पर हालात बहुत खराब हैं, यहां जलभराव हो गया है। बारिश के बाद ठंड बहुत बढ़ गई है लेकिन सरकार को किसानों की पीड़ा नजर नहीं आ रही।
किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा, 'हम सरकार के साथ कल की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करेंगे। बारिश हो रही है, इसलिए हम वाटरप्रूफ टेंट प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि वे सरकार के स्टैंडर्ड तक नहीं हैं। हम महिलाओं और बुजुर्गों के लिए कंबल और गर्म पानी की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं।'
'पंजाब सरकार के खिलाफ खोला जाएगा मोर्चा'
दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर से किसान नेता मंजीत सिंह राय ने कहा, 'हम 13 जनवरी को कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी मनाएंगे। हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को किसान दिवस मनाएंगे।' उन्होंने कहा कि आज संगरूर में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। हम इसकी निंदा करते है। हम पंजाब सरकार को अवगत कराते हैं कि आपने अगर किसानों पर लाठीचार्ज बंद नहीं किए तो उनके खिलाफ पंजाब में मोर्चा खोला जाएगा।
वहीं किसान नेता ओंकार सिंह ने कहा कि आज 37 वां दिन है, सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, हम वापस नहीं जाएंगे। यह निराशाजनक है कि किसान अपनी जान गंवा रहे हैं। इतने सारे किसान ठंड में बैठे हुए हैं लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है।
बंदोबस्त काफी नहीं
पंजाब और हरियाणा के किसानों समेत हजारों की संख्या में किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर एक महीने से भी अधिक समय से डटे हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन (उग्रहण) के नेता सुखदेव सिंह के नेतृत्व में किसान टिकरी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने ठंड से बचने के लिए जो बंदोबस्त किए हैं, वे बारिश और उसके बाद होने वाले जलभराव के कारण ज्यादा मददगार साबित नहीं हो रहे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कल का एजेंडा रहेगा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, तीन कृषि कानूनों की वापसी और MSP पर क़ानून बने। हम वापस नहीं जाएंगे। अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार को जवाब देना होगा।
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