छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर निर्णायक प्रहार, 985 ने किया सरेंडर, 1177 गिरफ्तार, 305 ढेर
सरकार की नीति स्पष्ट रही, या तो आत्मसमर्पण करो या फिर मारे जाओ। इसी रणनीति का नतीजा है कि आज छत्तीसगढ़ में नक्सली संगठनों के पास न तो जन समर्थन बचा है और न ही संगठन चलाने की ताकत।

नक्सलियों का हो रहा खात्मा
Action on Naxalites in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान अपने निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। राज्य सरकार की आक्रामक नीति और रणनीतिक अभियानों के चलते बीते 13 महीनों में 305 नक्सली मारे गए, 1177 गिरफ्तार किए गए और 985 ने आत्मसमर्पण किया। यह आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण हैं कि छत्तीसगढ़ में नक्सल आतंक की कमर तोड़ी जा चुकी है।
सुरक्षा बलों को खुली छूट दी
राज्य सरकार ने शांति और विकास की अटूट प्रतिबद्धता के साथ सुरक्षा बलों को खुली छूट दी, अत्याधुनिक हथियार और खुफिया तंत्र को मजबूत किया, जिससे नक्सली गुटों की गतिविधियों पर कड़ा प्रहार किया गया। नक्सल गढ़ों में ताबड़तोड़ अभियान चलाए गए, जिससे कई बड़े नक्सली सरगना या तो मारे गए या गिरफ्त में आए।
सरकार की नीति स्पष्ट रही, या तो आत्मसमर्पण करो या फिर मारे जाओ। इसी रणनीति का नतीजा है कि आज छत्तीसगढ़ में नक्सली संगठनों के पास न तो जन समर्थन बचा है और न ही संगठन चलाने की ताकत। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया, जिससे अभियानों की सफलता दर बढ़ी। नक्सल प्रभावित जिलों में इंटेलिजेंस आधारित सटीक ऑपरेशनों के कारण सुरक्षा बलों को भारी सफलता मिली।
नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई
गिरफ्तार किए गए नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है, ताकि वे फिर कभी हिंसा की राह पर न लौट सकें। वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं के तहत समाज में वापस लाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए सिर्फ बंदूक की ताकत पर भरोसा नहीं किया, बल्कि विकास को हथियार बनाया।
राज्य में सड़कों और संचार सुविधाओं का तेज़ी से विस्तार किया गया है, जिससे सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हुई और ग्रामीणों का संपर्क मुख्यधारा से बढ़ा। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया गया है, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग अब सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि युवाओं को रोजगार और कौशल विकास के नए अवसर दिए जा रहे हैं, ताकि वे नक्सली संगठनों के जाल में फंसने के बजाय एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सकें।
13 महीनों में नक्सली नेटवर्क पर हुए प्रहार ने यह साफ कर दिया है कि अब इस विचारधारा की कोई जगह नहीं बची। आत्मसमर्पण और गिरफ्तारियों के ये ऐतिहासिक आंकड़े यह साबित करते हैं कि छत्तीसगढ़ अब नक्सल आतंक से बाहर निकल चुका है और स्थायी शांति की ओर बढ़ रहा है।
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